उत्तराखंड के चमाेली जिले में आई आपदा के बाद राहत व बचाव का कार्य आज गुरुवार को भी जारी रहा है। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ के जवान टनल में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने प्रयास कर रहे हैं। लापता ग्रामीणों व श्रमिकों की खोजबीन भी जारी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, संयुक्त् रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी तक कुल 61 शव बरामद किए जा चुके हैं,
जबकि 27 मानव अंग अलग-अलग स्थानों से मिले हैं जिसमें से 31 शवों एवं 01 मानव अंग की शिनाख्त की जा चुकी है। तपोवन व आसपास के क्षेत्रों में आई आपदा के बाद कुल 204 लोगों की गुमशुदगी दर्ज की जा चुकी है। चिंता की बात है कि 143 अभी भी लापता हैं।
टीम ने 56 परिजनों एवं 49 शवों के डीएनए सैंपल मिलान हेतु देहरादून लैब में भेजे गये हैं। शवों से मिले आभूषण, टैटू एवं अन्य पहचान चिन्हों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कर उन्हें सुरक्षित रखा जा रहा है। बीते कई दिनों से लगातार लोगों को बचाने का काम जारी है लेकिन मलबा इतनी ज्यादा तादाद में जमा है कि काम की गति धीमी है। 7 फरवरी को उत्तराखंड में आई तबाही ने कई लोगों की जान लेली। कई परिवार तबाह हो गए। सैलाब में पुल बह जाने की वजह से कई गांव भी जिले से कट गए जिन्हें पुल बनाकर फिर से जोड़ने का काम भी किया जा रहा है।
अभी तक कुल 59 शव एवं 27 मानव अंग अलग-अलग स्थानों से बरामद किये गये हैं जिसमें से 31 शवों एवं 01 मानव अंग की शिनाख्त की जा चुकी है।
कुल 204 लोगों की गुमशुदगी दर्ज की जा चुकी है।
56 परिजनों एवं 49 शवों के DNA सैम्पल मिलान हेतु FSL देहरादून भेजे गये हैं।
बता दें कि रैणी और तपोवन की आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को सरकार एक-एक लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता देगी। यह राहत राशि मुख्यमंत्री राहत कोष से देने का निर्णय लिया गया है। रैणी और तपोवन की आपदा के मृतकों के परिजनों को अभी तक एसडीआरएफ निधि के तहत चार-चार लाख रुपये जबकि केंद्र सरकार की ओर से दो-दो लाख रुपये की सहायता दिए जाने का मानक था। इसके बाद अब राज्य सरकार ने मृतक आश्रितों को एक-एक लाख रुपये की सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से करने का निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि तपोवन परियोजना की सुरंग में दबे लोगों के फेफड़ों और पेट में कीचड़ व गाद भरी मिली है। डॉक्टरों का कहना है कि गाद की वजह से फेफड़े बहुत जल्दी खराब हो गए होंगे और ऑक्सीजन की आपूर्ति रुकने से लोगों की मौत हो गई होगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अधिकांश शवों के फेफड़ों और पेट तक गाद पहुंचने की पुष्टि हुई है।
डॉक्टरों का कहना है कि गाद से ऑक्सीजन का प्रवाह रुक गया होगा जिससे लोगों की मौत हो गई। तपोवन सुरंग में सोमवार को तीन शव मिले। इन शवों का डॉ अनूप सोनी ने पोस्टमार्टम किया है। उन्होंने बताया कि पानी में बहने की वजह से लोगों के मुंह और नाक में पानी भर गया होगा। इसके साथ ही मिट्टी, कीचड़ उनके फेफडों व पेट तक पहुंच गया।