उत्तराखंड में रविवार को चमोली जिले स्थित ऋषिगंगा में आई बाढ़ से पैदा हालात से निपटने के लिए सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और राज्य पुलिस के एक हजार से अधिक जवानों को बचाव और राहत अभियान में लगाया गया। इस आपदा में तपोवन-रैणी क्षेत्र में स्थित ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले करीब दो सौ से ज्यादा कर्मी अभी भी लापता हैं। जबकि, सुरंग के अंदर अभी भी करीब 30-35 श्रमिक फंसे हुए हैं।
रेस्क्यू के लिए जुटे जवानों ने मंगलवार दोपहर तक 31 शवों को बाहर निकाल लिया है। जबकि, टनल के अंदर से गाद व मलबा निकालने का काम अभी भी जारी है।
टनल के अंदर फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए राहत व बचाव का कार्य युद्ध स्तर से जारी है।ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर थीं, लेकिन अब पानी का बहाव कम होने से राहत मिली है।
उत्तराखंड के चमोली जिले के चीन सीमा से लगे क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से हुई तबाही में उत्तराखंड समेत नौ राज्यों के मजदूर और कर्मचारी लापता हैं। ये सभी निर्माणाधीन ऋषिगंगा और एनटीपीसी प्रोजेक्ट में काम करते हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने लगभग 202 व्यक्तियों के लापता होने की संभावना जताई है।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार धौली गंगा और ऋषि गंगा में आए अचानक जल प्रलय से दोनों हाइड्रो प्रोजेक्ट पूरी तरह तबाह हो गए हैं।
इनमें ही विभिन्न राज्यों के मजदूर और कर्मचारी कार्यरत हैं। सोमवार दोपहर तक 18 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि छह घायल हुए हैं। लापता लोगों में उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल प्रदेश, यूपी, बिहार, मप्र, पश्चिमी बंगाल, पंजाब, आसाम व ओडिशा के मजदूर व कर्मचारी शामिल हैं। चूंकि, दोनों प्रोजेक्टों का रिकार्ड भी बाढ़ में तबाह हो चुका है, ऐसे में बामुश्किल मजदूरों का डाटा जुटाया जा रहा है।