भारत में समलैंगिकों के विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। बता दे कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है कि वह इस मामले में सभी राज्यों का पक्ष जानें। इसी के साथ इसके लिए केंद्र ने राज्यों को भी पत्र लिखकर इस मामले पर उनके विचार मांगे हैं।
हालांकि केंद्र ने पहले सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि समलैंगिक जोड़े के लिए शादी करने के अधिकार की मांग करने वाली याचिकाओं पर कार्यवाही में सभी राज्यों को पक्षकार बनाया जाए।
लेकिन अब कोर्ट ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया था। इसी के साथ अब केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर इस मामले पर उनके विचार मांगे हैं।
बता दे कि याचिकाकर्ता पक्ष समानता और सम्मान से जीवन जीने के अधिकार का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिकों के विवाह को मान्यता देने की मांग कर रहा है।
हालांकि वहीं केंद्र सरकार ने सुनवाई का कड़ा विरोध करते हुए कहा था कि यह विषय ऐसा नहीं है जहां पांच विद्वान लोग बैठकर पूरे समाज के बारे में फैसला कर दें।
बता दे कि ऐसे में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि समलैंगिकों के विवाह की मांग करने वाली याचिकाओं पर कार्यवाही में सभी राज्यों को पक्षकार बनाया जाए।
हालांकि कोर्ट ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया। अब केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखकर समलैंगिकों के विवाह पर उनके विचार मांगे हैं।
केंद्र का कहना है कि राज्यों के साथ विचार-विमर्श करने और कोर्ट के सामने अपने विचार रखने की अनुमति मिलनी चाहिए। साथ ही तब तक के लिए सुनवाई को स्थगित कर देना चाहिए।