कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने समीर वानखेड़े को दी क्लीन चिट, जांच समिति ने माना जन्म से मुस्लिम नहीं एनसीबी अधिकारी

आर्यन खान ड्रग्स केस से सुर्खियों में आए एनसीबी के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को बड़ी राहत मिली है. जाति प्रमाण पत्र केस में कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है और समीर वानखेड़े के जाति प्रमाण को तभी बरकरार रखा है.

समिति ने उस आरोप को खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि वानखेड़े जन्म से मुसलमान हैं. दरअसल महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक ने आरोप लगाया था कि समीर वानखेड़े ने सरकारी नौकरी पाने के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया था. मलिक ने दावा किया था कि वानखेड़े मुस्लिम थे लेकिन उन्हें आरक्षित वर्ग के तहत नौकरी मिली.

कास्ट स्क्रूटनी कमेटी ने उन्हें यह कहते हुए क्लीन चिट दे दी है कि वह जन्म से मुस्लिम नहीं थे. उनके पिता ज्ञानेश्वर वानखेड़े ने हिन्दू धर्म का त्याग नहीं किया था और न ही मुस्लिम धर्म को अपनाया था. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, आदेश में कहा गया है कि यह साबित हो गया है कि वे महार-37 अनुसूचित जाति के थे, जिसे हिन्दू धर्म में मान्यता प्राप्त है.

वानखेड़े ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, महाराष्ट्र में जाति जांच समिति ने हमारे खिलाफ दर्ज शिकायतों को खारिज कर दिया है. हमने जो तथ्यात्मक दस्तावेज जमा किए थे, वे वैध हैं. समीर वानखेड़े और उनके पिता निश्चित रूप से अनुसूचित जाति महार समुदाय से हैं. समिति ने माना कि महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक और मनोज संसारे, अशोक कांबले और संजय कांबले जैसे अन्य शिकायतकर्ता अपने दावों को साबित करने में सक्षम नहीं हुए.

पूर्व मंत्री नवाब मलिक के आरोपों के बाद समीर वानखेड़े ने पिछले साल नवंबर में दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग गए थे और आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखा था. आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा कि समीर द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों का महाराष्ट्र सरकार से सत्यापन किया जाएगा. उन्होंने कहा था, अगर दस्तावेज वैध पाए जाते हैं तो उनके दस्तावेजों के आधार पर कोई उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता.

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