सियाचिन ग्लेशियर पर सेना के फाइबर ग्लास बंकर में आग लग गई। इसमें कई जवान अंदर ही फंस गए। यह देख अंशुमान अपनी साहस का परिचय देते हुए जवानों को बाहर निकालने में जुट गए। उन्होंने कई जवानों को बाहर निकाल अस्पताल के लिए भेजवाए। इसी दौरान वह आग के चपेट में आ गए। जिसके बाद शहीद हो गए।
सियाचिन के ग्लेशियर में बलिदान हुए लार ब्लाक के बरडीहा दलपत निवासी शहीद रेजिमेंटल मेडिकल आफिसर कैप्टन अंशुमान सिंह के गांव में तीसरे दिन भी सन्नाटा फैला हुआ है। अधिकारियों व क्षेत्रीय लोगों सहित जनप्रतिनिधियों के आने-जाने का सिलसिला सुबह से ही शुरू है। सभी अपने वीर सपूत के पार्थिव शरीर के आने के इंतजार में हैं। पार्थिव शरीर गोरखपुर एयरपोर्ट से देवरिया के लिए निकल गया है।
अंशुमान का शव बृहस्पतिवार को सियाचिन ग्लेशियर से लेह एयरपोर्ट से हवाई मार्ग द्वारा गोरखपुर एयरपोर्ट पर सुबह दस बजे के करीब आना था। इसकी सूचना पर ग्रामीण व परिवार के लोग गोरखपुर पहुंचे थे। इसी बीच लेह में बर्फबारी शुरू हो गई। जिसके वजह से उड़ान बाधित हो गई। इसके बाद उनका शव नहीं आ सका था।
बुधवार की सुबह तड़के तीन बजे सियाचिन ग्लेशियर पर सेना के फाइबर ग्लास बंकर में आग लग गई। इसमें कई जवान अंदर ही फंस गए। उधर पल भर में आग ने विकराल रूप ले लिए। यह देख अंशुमान अपनी साहस का परिचय देते हुए जवानों को बाहर निकालने में जुट गए। उन्होंने कई जवानों को बाहर निकाल अस्पताल के लिए भेजवाए। इसी दौरान वह आग के चपेट में आ गए। जिसके बाद शहीद हो गए।