मुंबई उच्च न्यायालय ने 2008 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ एक राज्य परिवहन बस पर हमले के मामले को खारिज कर दिया। अदालत ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपपत्र में ठाकरे की प्रत्यक्ष संलिप्तता का कोई प्रमाण नहीं था। उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने यह भी कहा कि राज ठाकरे के भड़काऊ भाषणों के बावजूद, उनमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का कोई स्पष्ट निर्देश नहीं था।
यह घटना 22 अक्टूबर 2008 को बीड जिले के पारली से गंगाखेड़ जा रही एक राज्य परिवहन बस पर पथराव के कारण हुई थी। बस का अग्रभाग क्षतिग्रस्त हो गया था और आरोप लगाया गया था कि ठाकरे के उकसावे वाले भाषणों के कारण ही यह हिंसा भड़की। हालांकि, राज ठाकरे उस समय घटना स्थल पर उपस्थित नहीं थे, और उनकी प्रत्यक्ष संलिप्तता का कोई सबूत नहीं मिला।
न्यायालय ने यह निर्णय लिया कि उन्हें मुकदमे का सामना करने के लिए बाध्य करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। इस निर्णय से ठाकरे को राहत मिली है, क्योंकि आरोपों के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं पाए गए थे। 2008 में महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसक घटनाएं हुई थीं, जिसमें ठाकरे के भाषणों को जिम्मेदार ठहराया गया था।