आज दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर कोरोना महामारी को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया। पिछले कुछ दिनों से बहस छिड़ी हुई थी कि क्या मीडिया समूह को कोरोना से हो रही मौतों की जानकारी देना समाज में नकारात्मक है। हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा टीवी चैनलों पर दिखाना या अखबारों में छापना निगेटिव खबर नहीं है ।
सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया । दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया था कि समाचार चैनलों को कोरोना से होने वाली मौतों को लेकर उचित दिशा निर्देशों के साथ रिपोर्टिंग करनी चाहिए ।
याचिका में यह भी कहा गया था कि मौत का आंकड़ा दिखाने से लोगों के बीच नकारात्मकता फैलती है । इस याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने भी आज महत्वपूर्ण फैसले सुनाए।
कोरोना की दूसरी लहर रोकने के लिए शीर्ष अदालत ने केंद्र को वैक्सीन पॉलिसी पर दोबारा विचार के लिए कहा है।
केंद्र अभी खुद 50 प्रतिशत वैक्सीन खरीदता है, बाकी 50 प्रतिशत वैक्सीन को निर्माता कंपनी सीधे राज्यों और निजी संस्थानों को बेच सकती है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट ने रविवार को कहा- ये संविधान में दिए गए जनता के जीने के अधिकार, जिसमें स्वास्थ्य का अधिकार जुड़ा है, उसे साफतौर पर नुकसान पहुंचा रहा है।
सुप्रीीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन लगाने पर विचार करें। अदालत कमजोर तबके पर पड़ने वाले लॉकडाउन के सामाजिक-आर्थिक नतीजों से वाकिफ है। ऐसे में अगर संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया जाता है तो इससे पहले इस तबके की जरूरतों को पूरा करने का ध्यान रखा जाए।