उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ने लगी तो तीर्थ पुरोहितों ने भी आर-पार का बिगुल फूंक दिया है. तीर्थ पुरोहित धामी सरकार पर दबाव बनाने लगे हैं. देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ जल्द फैसला आ सकता है. पीएम मोदी के कृषि कानून को वापस लेने के बाद पुरोहितों को जैसे संजीवनी मिल गई है.
दूसरी ओर धामी सरकार भी अब देवस्थानम बोर्ड को लेकर विधानसभा चुनाव से पहले चैप्टर बंद करना चाहती है. कयास लगाए जा रहे हैं कि धामी सरकार सात व आठ दिसंबर को होने जा रहे गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को वापस लेने के लिए विधेयक ला सकती है.
5 नवंबर को केदारनाथ में पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से ठीक पहले तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी को थामने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मैदान में उतरना पड़ा था. कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल ने भी मोर्चा संभाला था. तब मुख्यमंत्री ने 30 नवंबर तक देवस्थानम प्रबंधन कानून पर बड़ा फैसला होने के संकेत दिए थे. सूत्र के मुताबिक तीर्थ पुरोहितों के विरोध को देखते हुए देवस्थानम बोर्ड पर सरकार बड़ा निर्णय ले सकती है. इसके तहत बोर्ड को स्थगित रखने अथवा निरस्त करने का निर्णय लिया जा सकता है.