डॉक्टरों ने ब्लूटूथ संचालित पेसमेकर लगाकर, रोगी को न केवल संभावित जटिलताओं से बचाया, बल्कि रोगी के लंबे समय तक अस्पताल में रहने / अस्पताल आने- जाने और अन्य खर्चों को भी बचाया। इस अत्याधुनिक तकनीक की मदद से रोगी की दूर से निगरानी की जा सकती है और इसके कारण रोगी के जीवित रहने की दर भी अधिक साबित हुई है। इसकी मदद से किसी भी समय और कहीं भी रोगी के धड़कनो की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
कार्डियोलॉजी की एसोसिएट डायरेक्टर और हेड डॉ प्रीति शर्मा के अनुसार ब्लूटूथ संचालित पेसमेकर को प्रत्यारोपित करने का मैक्स हॉस्पिटल देहरादून में यह पहला मामला है। यह प्रक्रिया अहमदाबाद के एक रोगी पर की गयी, जिसे बेहोशी के दौरे की शिकायत के कारण तीन दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉ प्रीति शर्मा के अनुसार, जांच में रोगी में सिक साइनस सिंड्रोम का पता चला, जिसके कारण उसमें डुअल चैंबर परमानेंट पेसमेकर प्रत्यारोपित किया गया, जो एक ही सीटिंग में किया गया ।
डॉ प्रीति शर्मा ने कहा’ हमने मरीज की उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति के कारण ब्लूटूथ संचालित पेसमेकर लगाने का फैसला किया। वह फिजिकल फौलोदृअप के लिए हमारे पास वापस नहीं आ सकता है। ब्लू सिंक्टेक्नोलॉजी में टैबलेट-आधारित प्रोग्रामिंग और ऐप-आधारित रिमोट मॉनिटरिंग की सुविधा होती है। साथ ही, तकनीकी रूप से इतनी अत्याधुनिक होने के कारण, इसकी बैटरी 14 साल तक चलती है। यह इस मरीज के लिए एकदम सही था। ”
यह नया पेसमेकर दूर से निगरानी करने में सक्षम बनाता है और अस्पताल में रहने के समय को कम करता है और जांच के लिए बाद में अस्पताल आने की जरूरतों को भी कम करता है। मरीज ऐप के माध्यम से हार्ट डिवाइस डेटा को ट्रांसफर करने के लिए सामान्य रूप से अपने स्मार्टफोन का उपयोग कर सकते हैं, यहां तक कि जब वे घर के बाहर होते हैं तब भी, मॉडल का नाम और बैटरी की उम्र सहित चुनिंदा पेसमेकर डेटा को देख सकते हैं जिस से बेड साइड मॉनिटर की जरूरत नहीं पडती ।
दिल की सर्जरी और पेसमेकर के क्षेत्र में ब्लूटूथ पेसमेकर एक अग्रणीय कदम है । पारंपरिक पेसमेकर के साथ बहुत सारी समस्याएं जुडी होती हैं, और रोगी को चेकअप के लिए अक्सर डॉक्टर से मिलने की आवश्यकता होती है। हालाँकि, ब्लूटूथ संचालित पेसमेकर डॉक्टरों के साथ-साथ रोगियों के लिए एक नई दुनिया का निर्माण कर रहे हैं। वे बहुत जल्द कार्डियक एरीदमिया का पता लगाते हैं और इसे कम करते हैं, जिससे रोगियों को उच्चतम दर्जे की चिकित्सा देखभाल की सुविधा मिलती है। इन पेसमेकरों के कारण फौलोदृअप में कम समय लगता है क्योंकि हॉस्पिटल में कम आने की जरूरत होती है और बेहतर कनेक्टिविटी और सपोर्ट की सुविधा मिलती है।