कुंभ मेला को कोविड संक्रमण से बचाने के लिए उत्तराखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी किए गए नए एसओपी का अखाड़ा परिषद, संतों, स्थानीय पुजारी और व्यापारी बिरादरी ने विरोध किया है। नए एसओपी के अनुसार हरिद्वार कुंभ में जो भी एसओपी का उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। यह एसओपी प्रतिबंध कुंभ मेला क्षेत्र में और मेला अवधि तक ही लागू होंगे।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने सरकारी पोर्टलों पर अनिवार्य रजिस्ट्रेशन का हवाला देते हुए 72 घंटे की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट, तीर्थयात्रियों के लिए ई-पास आवंटन और आपदा प्रबंधन अधिनियम और कोविद एसओपी के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई को कड़े उपायों के रूप में करार दिया है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने सवाल उठाया है कि जब प्रयागराज में आयोजित माघ मेला और वृंदावन मेले में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था तो हरिद्वार महाकुंभ में क्यों?
महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि इस तरह के कठोर प्रतिबंधों, प्रोटोकॉलों और प्रक्रियाओं में एक भव्य कुंभ का आयोजन कैसे किया जा सकता है? कोरोना का डर या सुरक्षा उपायों के नाम पर अनुचित प्रतिबंध नहीं लगाए जाने चाहिए।
हालांकि सरकार ने भव्य कुंभ मेले का आयोजन करने का आश्वासन दिया है, लेकिन हमने प्रतिबंधों को कम करने का आग्रह किया क्योंकि कोविद-19 का असर अब कम हो गया है और टीकाकरण भी किया जा रहा है।
अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अखाड़ा के अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास ने अन्य राज्यों से विशेष रूप से खालसा द्रष्टा जो वृंदावन मेले खत्म होने के बाद अब हरिद्वार कुंभ के लिए जा रहे हैं, उनके लिए व्यवस्था करने में देरी पर नाराजगी व्यक्त की। 60 दिनों के कुंभ के बजाय सिर्फ एक महीने के महाकुंभ 2021 पर भी अखाडा परिषद ने आपत्ति जताई है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि आम तौर पर हरिद्वार में हर कुंभ 4 महीने का होता है, लेकिन इस बार राज्य सरकार ने संतों, स्थानीय पुजारियों और व्यापारी समुदाय को ध्यान में रखे बिना कुंभ को एक महीने का किया है।
ऐसा लगता है कि सरकार वास्तव में कुंभ मेले के आयोजन में दिलचस्पी नहीं ले रही है, जबकि कागज पर यह दावा है कि एक भव्य कुंभ का आयोजन किया जा रहा है।