सीबीआई ने भगोड़े कारोबारी मेहुल चौकसी और उसकी कंपनी गीतांजलि जेम्स के खिलाफ धोखाधड़ी का एक और मामला दर्ज किया है. जानकारी के मुताबिक चौकसी और उसकी कंपनी पर सरकारी कंपनी इंडस्ट्रियल फाइनेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिडेट (आईएफसीआई) से 22 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है.
बता दें कि चौकसी और उसकी कंपनी पर दर्ज एफआईआर के मुताबिक चौकसी ने IFCI से साल 2016 में 25 करोड़ के लोन मांगा था. रिपोर्ट के मुताबिक चौकसी ने लोन के बदले जीजीएल और अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया था. आईएफसीआई लिमिटेड ने चौकसी के पास मौजूद गिरवी गहनों की कीमत का मूल्यांकन सूरजमल लल्लू भाई एंड कंपनी, नरेंद्र झावेरी, प्रदीप शाह और श्रेनिक शाह जैसे वेल्युअर से करवाई थी ताकि चौकसी के पास मौजूद सोने और हीरे के जवाहरात की सही कीमत पता लगाई जा सके. बताया जा रहा है कि चौकसी को उसके शेयर और सोने- हीरे के गिरवी पड़े जेवरात पर दो गुना सिक्योरिटी कवर के आधार पर लोन दिया गया था.
सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मेहुल चौकसी की कंपनी ने लोन के बदले आईएफसीआई को किश्ते देनी बंद कर दी. आईएफसीआई ने अपने लोन की रिकवरी के लिए चौकसी द्वारा गिरवी रखे गए शेयर को बेचकर 4.7 करोड़ रुपये वसूल कर लिए. इसके बाद आईएफसीआई ने चौकसी द्वारा गिरवी रखे गोल्ड और डायमंड की ज्यूलरी की वेल्युएशन के लिए दो सोनारों को नियुक्त किया जो उन जवाहरातों की सही वेल्यू पता कर सकें.
वेल्युअर ने बताया कि मेहुल चौकसी द्वारा गिरवी रखी गई ज्वेलरी की कीमत 3 सालों में 98 फीसदी तक गिर चुकी है. सीबीआई ने उन सोनारों का भी नाम एफआईआर में शामिल किया है जिन्होंने लोन के समय पर मेहुल चौकसी की ज्यूलरी की वेल्यु लगाई थी.
साभार: हिंदुस्तान