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दिल्ली में अमरिंदर सिंह ने अमित शाह के साथ बनाया नया सियासी ‘प्लान’

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बता दें कि मंगलवार दोपहर बाद करीब 4 बजे कांग्रेस आलाकमान से नाराज और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह चंडीगढ़ एयरपोर्ट से दिल्ली रवाना हो रहे थे तब कयास लगाए जा रहे थे कि अमरिंदर सिंह दिल्ली में भाजपा के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे. दिल्ली पहुंचने पर जब मीडिया कर्मियों ने उनसे अमित शाह से होने वाली मुलाकात के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा था, ‘यहां मैं घर जाऊंगा, सामान इकट्ठा करूंगा और पंजाब जाऊंगा’.बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर ने यह भी कहा था, ‘यहां मैं किसी भी राजनीतिक नेता से नहीं मिलूंगा. किसी तरह की राजनीतिक गतिविधि नहीं है.

उन्होंने कहा था मैं कपूरथला हाउस (दिल्ली में स्थित) जो सीएम का घर है उसे खाली करने आया हूं. कैप्टन के इस बयान के बाद लगने लगा था कि इस बार वे दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात नहीं करेंगे. लेकिन बुधवार शाम करीब छह बजे पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह अपने बयान से पलट गए और अपना भविष्य तलाशने के लिए अमित शाह के घर जा पहुंचे. दोनों नेताओं की एक घंटे मुलाकात के बाद एक बार फिर से अटकलों का बाजार गर्म है. अमित शाह से मुलाकात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर बताया कि किसान आंदोलन को लेकर चर्चा हुई.

उन्होंने ट्वीट कर बताया कि कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन पर चर्चा की और उनसे फसल विविधीकरण में पंजाब का समर्थन करने के अलावा, कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की गारंटी के साथ संकट को तत्काल हल करने का अनुरोध किया. भाजपा खेमे ने भी अमरिंदर से ‘मधुर संबंध’ बनाने के लिए हाथ आगे बढ़ा दिया है. शाह से मुलाकात के बाद अमरिंदर सिंह को ‘सुखद एहसास’ होने लगा है. वहीं भाजपा भी पंजाब में किसानों के आंदोलन समेत कई मुद्दों पर अमरिंदर को अपना साथी घोषित करने की तैयारी कर रही है.

यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच फिर से बातचीत शुरू करने के लिए अमरिंदर ‘मध्यस्थ’ की भूमिका निभा सकते हैं. गौरतलब है कि अमरिंदर सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी समझे जाते हैं. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को कैप्टन का ‘राष्ट्रवादी स्टाइल’ खूब पसंद है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अमरिंदर सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे या पंजाब चुनाव से पहले नई पार्टी बनाएंगे. इतना जरूर है कि दोनों ही परिस्थितियों में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ेंगी.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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