ब्राज़ील के महान फ़ुटबाल खिलाड़ी पेले का आज निधन हो गया है। बता दे कि वे 82 साल के थे और पिछले कुछ समय से किडनी और प्रोस्टेट की बीमारियों जूझ रहे थे।
विश्व कप फुटबॉल की सबसे कामयाब टीम ब्राज़ील है जो कि पांच बार की विश्व विजेता ब्राज़ील की इस कामयाबी में जिस खिलाड़ी का सबसे बड़ा योगदान है, दुनिया उन्हें पेले के नाम से जानती है।
पेले ने तीन मौकों पर अपनी टीम को वर्ल्ड कप का ख़िताब दिलाया। फुटबॉल के जादूगर कहलाने वाले पेले का करिश्मा कुछ ऐसा रहा है जिसकी बराबरी आज तक कोई फुटबॉलर नहीं कर पाया है।
इसके साथ ही सबसे कम उम्र में विश्व कप में गोल दागने, हैट्रिक बनाने और फ़ाइनल मुक़ाबला खेलने का रिकॉर्ड 60 साल बाद भी पेले के नाम पर बना हुआ है।
आपको बता दे कि ब्राज़ील के छोटे से शहर मिनास गेराइस में 23 अक्टूबर, 1940 को पेले का जन्म हुआ था। पिता क्लब स्तर के फुटबॉलर थे और मां हाउसवाइफ़। मां बाप ने अपने बेटे का नाम एडसन रखा था।
ब्राज़ील में अमूमन हर इंसान के एक-दो निकनेम ज़रूर होते हैं, जिससे उनके घरवाले उन्हें बुलाते हैं। एडसन यानी पेले का भी निकनेम रखा गया। पेले के माता-पिता, भाई-बहन या जानने वाले दोस्त उन्हें डिको के नाम से बुलाते रहे।
डिको के पिता ख़ुद भी फुटबॉल खेलते थे, लेकिन महज 25 साल की उम्र में चोटिल होने की वजह से उनका फुटबॉल करियर क्लब स्तर से आगे नहीं बढ़ पाया था, लिहाजा उन्होंने अपने बेटे को फुटबॉलर बनाने का सपना देखा।
उनका परिवार अब साउ पाउलो के बाउरू शहर में रहने आ गया था। बचपन से मिली ट्रेनिंग के चलते पेले की ख़ासियत की चर्चा गली मुहल्लों में होने लगी थी। पेले कभी फटे पुराने कपड़ों से गेंद बनाकर फुटबॉल खेलते थे और कभी पड़ोस के स्टेशन से गुड्स ट्रेन का सामान ग़ायब करके उसे बेचकर गेंद के लिए पैसा जमा करते थे।
लेकिन उनका नाम पेले कैसे पड़ा। इसको लेकर कई तरह के दावे किए जाते हैं। जो दावा जोरशोर से किया जाता है, वो ये है कि गेलिक भाषा में पेले का मतलब फुटबॉल होता है, लिहाजा उनका नाम पेले पड़ गया।
लेकिन इस दावे को सच नहीं माना जा सकता, क्योंकि गेलिक आयरलैंड के आसपास की भाषा है और उसका कोई शब्द उस ज़माने में हज़ारों मील दूर बाउरू, ब्राज़ील कैसे पहुंच गया होगा, इसका कोई ठोस आधार नहीं मिलता।
पेले शब्द हिब्रू भाषा में भी है, जहां उसका मतलब चमत्कार है। लेकिन फ़लीस्तीनी और इसराइल के किसी शब्द का उस वक्त ब्राज़ील तक पहुंचना भी असंभव था।
ऐसे में सवाल यही है कि पेले का नाम, पेले कैसे पड़ गया। उस दौर में ब्राज़ील में पुर्तगाली भाषा का चलन था और उसमें पेले शब्द का कोई मतलब नहीं निकलता था।
लेकिन बावजूद इसके जब 15 साल की उम्र में ब्राज़ील के मशहूर क्लब सैटोंस से पेले जुड़े तो उनका नाम पेले पड़ चुका था।
पेले नाम रखने जाने के सच के बारे में पेले ने ‘व्हाई सॉकर मैटर्स’ में बताया था, “कोई ठीक-ठीक नहीं बता पाता है कि पेले नाम कहां से आया। लेकिन मेरे मामा जॉर्ज ने जो बताया है, उस पर विश्वास किया जा सकता है।”
पेले के मामा जॉर्ज, उनके साथ ही रहते थे और कई साल तक उनकी नौकरी के चलते ही पेले के परिवार का भरन-पोषण होता रहा। जॉर्ज के मुताबिक़, बाउरू की स्थानीय फुटबॉल क्लब टीम के एक गोलकीपर का नाम था बिले, ये वही क्लब था जिसमें पेले के पिता भी खेलते थे। बिले अपनी शानदार गोलकीपिंग के चलते बेहद लोकप्रिय थे।