देश में इस साल मौसम का कुछ अलग ही मिजाज देखने को मिल रहा है. जनवरी-फरवरी में आम तौर पर जब उत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों में बारिश देखी जाती है, तब तो बारिश हुई नहीं और इस कारण अधिकतम तापमान ने रिकॉर्ड तोड़ दिया. वहीं दूसरी तरफ मार्च के महीने में लगातार बारिश ने लोगों को वापस से चादर ओढ़ने पर मजबूर कर दिया.
मौसम विभाग ने मार्च के महीने की शुरुआत से ही गर्मी के बढ़ने का अनुमान लगा लिया था. विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक इस साल गर्मी तेज पड़ने वाली थी. हालांकि अभी तक मौसम ने विभाग के सभी अनुमानों को गलत साबित कर दिया है. पिछले कुछ समय से लगातार बारिश और आंधी का सिलसिला देश के अधिकांश राज्यों में जारी है. कई जगहों पर तापमान में बहुत ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है. ऐसे में विभाग को नए सिरे से अप्रैल और मई-जून की संभावित मौसमी परिस्थितियों की रिपोर्ट नए सिरे से जारी करनी पड़ रही है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में फरवरी का पूरा महीना और फिर मार्च के शुरुआती दो हफ्ते गर्म रहे, जबकि अंतिम दो हफ्तों में तापमान सामान्य के काफी नीचे रिकॉर्ड किया गया. यहां मार्च के शुरुआती दो हफ्तों में तापमान सामान्य से 2.1 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया. वहीं आखिरी के दो हफ्तों में सामान्य से 2.8 डिग्री सेल्सियस नीचे तापमान रिकॉर्ड किया गया.
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मार्च का औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 0.31 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा. दिल्ली में यह 34वां मौका है, जब मार्च में इतना कम तापमान रहा है. वहीं मार्च के ये आखिरी दो हफ्ते के तापमान ने 73 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. यह पिछले 73 सालों के 10 सबसे ठंडे हफ्तों में रहे हैं.
मौसम विभाग के मुताबिक, 29 मार्च तक देश का औसत अधिकतम तापमान 30.5 डिग्री था. इस तरह वर्ष 1951 के बाद यह पहला मौका है जब मार्च का तापमान इतना कम रहा है.
हालांकि यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि मौसम विभाग ने इस साल मार्च महीने से ही देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ने का पूर्वनुमान जताया था. तो फिर सवाल उठता है कि आखिरी सारे अनुमानों के उलट मार्च का महीना इतना ठंडा कैसे रहा.
मौसम विभाग से जुड़े वैज्ञानिक इसके पीछे की वजह बताते हुए कहते हैं, ‘तापमान में यह आसान्य गिरावट एकसाथ दो पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से आई है. इस दौरान राजस्थान और तटीय क्षेत्रों में परिसंचरण का स्तर अधिक रहा, वहीं ऊपरी क्षोभ मंडल में 120 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चली हवाओं ने बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी के स्तर में बढ़ोतरी की. इन कारणों से ही मार्च में देश के कई इलाकों में बेमौसम बरसात हुई, जिससे पारे में गिरावट दर्ज की गई.’
इस बीच राजस्थान की तरफ से एक और पश्चिमी विक्षोब सक्रीय है. इस कारण राष्ट्रीय राजधानी सहित उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में शनिवार को भी गरज और बिजली चमकने के साथ बारिश होने का अनुमान है. उधर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुताबिक, इस बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के कारण फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. ऐसे में सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध को तब तक के लिए बढ़ाने का ऐलान किया, जब तक कि देश खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए घरेलू आपूर्ति को लेकर सहज महसूस नहीं करता.