ऑपरेशन ब्लू स्टार की आज बरसी है। आज से 39 साल पहले छह जून 1984 को भारतीय सेना ने अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को दमदमी टकसाल के नेता और खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उसके अनुयायियों से मुक्त कराने के लिए एक विशेष अभियान चलाया था, जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टार के नाम से जाना जाता है। यह ऑपरेशन इसलिए चलाया गया, क्योंकि पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं।
ऑपरेशन ब्लू स्टार की कमान लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बरार को सौंपी गई थी। उन्हें इसके बारे में 31 मई 1984 की शाम को पता चला, जब वे पत्नी के साथ छुट्टियां मनाने के लिए मनाली निकलने वाले थे। उस समय पंजाब अलगाववाद की आग में जल रहा था। वही स्वर्ण मंदिर पर भिंडरावाले ने कब्जा कर लिया था। ऐसे में उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाने को मंजूरी दी।
भिंडरावाले को कांग्रेस ने दिया बढ़ावा
ऐसा कहा जाता है कि भिंडरावाले को कांग्रेस ने ही बढ़ावा दिया था, क्योंकि वह अकालियों के सामने सिखों की मांग उठाने वाले ऐसे शख्स को खड़ा करना चाहती थी, जो उसको मिलने वाले समर्थन में सेंध लगा सके।
भिंडरावाले ने पहले तो विवादित मुद्दों पर बयान देना शुरू किया, लेकिन बाद में उसने केंद्र सरकार पर भी हमला बोलना शुरू कर दिया, जिससे पंजाब में हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगीं।
भिंडरावाले ने 1982 में चौक गुरुद्वारा को छोड़ दिया और स्वर्ण मंदिर में गुरुनानक निवास आकर रहने लगा, जिसके कुछ महीनों बाद वह अकाल तख्त से अपने विचार व्यक्त करना शुरू कर दिया।