सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित 10 विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के बिना ही कानून बन गए हैं। कोर्ट ने राज्यपाल आर.एन. रवि की ओर से इन विधेयकों को मंजूरी देने में की गई देरी को ‘अवैध’ करार दिया और कहा कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना चाहिए, न कि विधेयकों को अनिश्चितकाल तक लंबित रखना।
राज्यपाल ने नवंबर 2023 में इन विधेयकों को बिना कारण बताए विधानसभा को लौटा दिया था, जिनमें से कुछ विधेयक विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति और पूर्व मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई से संबंधित थे। इसके जवाब में, तमिलनाडु सरकार ने 18 नवंबर को विशेष सत्र बुलाकर इन विधेयकों को पुनः पारित किया और राज्यपाल को भेजा।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि विधानसभा किसी विधेयक को दोबारा पारित करती है, तो राज्यपाल को एक महीने के भीतर उस पर निर्णय लेना होगा। यह फैसला राज्यपालों की संवैधानिक भूमिका और राज्य सरकारों के बीच संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।