भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट के चलते निवेशकों ने लगभग $1 ट्रिलियन की संपत्ति गंवाई है, जिससे भारत का वैश्विक बाजार पूंजीकरण में हिस्सा घटकर 2.8% रह गया है। यह गिरावट विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और निजी बैंकिंग क्षेत्रों में आई, जिनमें इन्फोसिस और विप्रो जैसी कंपनियों में 1.5% तक की गिरावट देखने को मिली। निजी बैंकों में भी 1.3% की कमी आई, जिसमें इंडसइंड बैंक की शेयर कीमत में 20% की भारी गिरावट आई।
इस गिरावट के मुख्य कारणों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मंदी संबंधी बयान और व्यापार शुल्क के कारण वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ना है। इसके अलावा, एशियाई बाजारों में भी गिरावट देखी गई, जापान का निक्केई 225 सूचकांक 2% गिरा।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में सकारात्मक रुझान भी देखे गए। तेल विपणन कंपनियां, जैसे भारत पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल, ने एचएसबीसी की सकारात्मक समीक्षा के बाद लगभग 1.5% की बढ़त दर्ज की।
इस गिरावट ने भारतीय शेयर बाजार को वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं से प्रभावित होने का संकेत दिया है, और निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो की पुनः समीक्षा करने की आवश्यकता है।