एक नज़र इधर भी

अलविदा 2023: वर्ष 2023 में सुप्रीमकोर्ट ने कई बड़े फैसले लिए, एक नजर 10 बड़े फैसलों पर

सुप्रीमकोर्ट
Advertisement

किसी भी देश का कोर्ट वहां की न्याय व्यवस्था के लिए बहुत अहम माना जाता है. भारत के सर्वोच्च न्यायालय अपने फैसलों से इस दिशा में कई अहम कदम भी उठाए हैं. हर वर्ष की तरह इस साल भी देश की शीर्ष अदालत ने कई बड़े फैसले लिए. इन फैसलों ने हर किसी को न्याय पर ना सिर्फ भरोसा करने के लिए प्रेरित किए बल्कि सुरक्षा का भाव भी जगाए रखा. वैसे तो वर्ष भर में सुप्रीम कोर्ट में कई मुद्दे पहुंचे और कई मुद्दों पर फैसले भी आए, लेकिन हम यहां उनमें 10 अहम मुद्दों की बात करेंगे. जिन्होंने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा.

ये हैं साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से लिए गए 10 बड़े फैसले

1. धारा 370 हटाना

सुप्रीम कोर्ट के 2023 के अहम फैसलों में से एक फैसला है जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय को वैध करार देना. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि आर्टिकल 370 एक अस्थायी प्रावधान था. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पास भारत में विलय के बाद आंतरिक संप्रभुता का राइट नहीं है. वहीं जम्मू-कश्मीर को राज्य दर्जा दिए जाने को लेकर भी कोर्ट ने अपनी बात रखी कोर्ट ने इसके लिए 2024 में चुनाव कराने के लिए कहा. इसके लिए कोर्ट ने 30 सितंबर तक का वक्त भी दिया.

2. तलाक पर शीर्ष अदालत का फैसला
इसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसलों में तलाक मामला भी शामिल था. कोर्ट ने अपने निर्णय में बताया कि आपसी सहमति से तलाक के लिए 6 महीने का वेटिंग पीरियड जरूरी नहीं होगा. ये मामला न्यायाधीश संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, एएस ओका, विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी की पांच जजों की बेंच ने लिया. उन्होंने कहा कि अगर पति-पत्नी के रिश्ते में सुलह की गुंजाइश ही न हो तो आर्टिकल 142 के तहत मिले विशेष अधिकार का इस्तेमाल किया जा सकता है.

3. हेट स्पीच मामले में भी सख्त कोर्ट
देश की सर्वोच्च अदालत ने 28 अप्रैल 2023 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस केस पर अहम फैसला सुनाते हुए ये कहा कि भले भी कोई शिकायत दर्ज की गई हो या नहीं लेकिन प्रशासन को मामला दर्ज करना ही होगा. ये फैसला जस्टिस के एम जोसफ और बीवी नागररत्ना की बेंच ने दिया.

4. नोट बंदी के फैसले पर शीर्ष अदालत
नोट बंदी के मोदी सरकार के फैसले को लेकर भी इस वर्ष सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय सामने आया. 2016 में 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद करने के निर्णय की वैधता को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाओं पर 2023 में अपना फैसला सुनाया. खास बात यह है कि कोर्ट ने भी सरकार के फैसले को ही बरकरार रखा. इस संबंध में दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.

5. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति
शीर्ष अदालत की पांच सदस्यी पीठ ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर भी इस वर्ष एक बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल के जरिए की जाएगी. कोर्ट ने ये भी बताया कि इस पैनल में कौन-कौन होगा. कोर्ट के मुताबिक इस पैनल में प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष शामिल होंगे. ये तीनों मिलकर ही अगले चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तय करेंगे.

6. समलैंगिक जोड़ों की शादी
2023 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से लिए गए बड़े फैसलों में 17 अक्टूबर का फैसला भी शामिल है. दरअसल इस दिन कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों की शादी को लेकर बड़ा निर्णय लिया. कोर्ट ने ऐसे जोड़ों को कानूनी वैधता देने से इनकार कर दिया. ये फैसला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने दिया. पीठ ने 3-2 के बहुमत से फैसला सुनाया. सर्वोच्च न्यायालय ने इस दौरान साफ कहा कि समलैंगिक शादी पर कानून बनाने का हक केवल संसद का है.

7. टैक्स पेयर को दी बड़ी राहत

शीर्ष अदालत ने इस वर्ष करदाताओं को भी बड़ी राहत दी. कोर्ट ने टैक्स चोरी, छापेमारी और तलाशी अभियान में मिलने वाली रकम को लेकर बड़ा फैसला लिया. कोर्ट ने साफ किया कि तलाशी के दौरान कोई ठोस सबूत नहीं मिले तो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 153 A के तहत टैक्सपेयर की इनकम को नहीं बढ़ाया जा सकता. यानी टैक्स पर पैनल्टी लगने से बच सकता है. यही नहीं कोर्ट ने ये भी कहा कि जिन मामलों में असेसमेंट हो चुका है इनकम टैक्स विभाग ऐसे मामलों को दोबारा नहीं खोल सकता.

8. जल्लीकट्टू पर भी महत्वपूर्ण निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और महाराष्ट्र के पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू को लेकर भी अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने तमिलनाडु के जल्लीकट्टू और महाराष्ट्र के बैलगाड़ी दौड़ को अनुमति वाले कानून की वैधता पर अपना निर्णय दिया. अदालत ने इन्हें कानूनन वैध करार देते हुए इस पारंपरिक खेल से जुड़े लोगों को बड़ी राहत दी. दरअसल बीते साल पांच जजों की संविधान पीठ ने दिसंबर में इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीमकोर्ट ने जल्लीकट्टू को अनुमति देने वाले राज्य सरकार के कानून को सही ठहराया था. कोर्ट ने ये भी कहा था कि ये खेल सदियों से संस्कृति का हिस्सा हैं और इन्हें बाधित नहीं किया जा सकता है.

9. भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल
सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल कसने वाला फैसला भी इसी वर्ष सुनाया. शीर्ष अदालत ने साफ किया कि भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों पर लगाम जरूरी. कोर्ट ने वर्ष 2014 से पहले दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों में भी शामिल अधिकारियों की गिरफ्तारी से संरक्षण नहीं मिलने की बात कही.

10. अडानी-हिंडनबर्ग मामले में कमेटी का फैसला
इसी वर्ष अडानी-हिंडनबर्ग मामले ने पूरे देश में सुर्खियां बंटोरीं. आखिरकार ये मामला सुप्रीम चौखट तक पहुंचा. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी 2 मार्च को अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने अडानी ग्रुप की कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिसर्ज रिपोर्ट से उठे सवाल पर एक्सपर्ट कमिटी के गठन का आदेश दिया. इस कमिटी में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे की अध्यक्षता में 6 लोगों को शामिल करने को कहा. इसके साथ ही कोर्ट ने सेबी से भी दो महीने में अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

Exit mobile version