पटना की सभा में हुए लाठीचार्ज के समय वहां उपस्थित नानाजी देशमुख ने उनकी जान बचाई. 25 जून, 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई विशाल सभा में जयप्रकाश जी ने पुलिस और सेना से शासन के गलत आदेशों को न मानने का आग्रह किया.
इससे इंदिरा गांधी बौखला गयी. 26 जून को देश में आपातकाल थोपकर जयप्रकाश जी तथा हजारों विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया. इसके विरुद्ध संघ के नेतृत्व में हुए आंदोलन से लोकतंत्र की पुनर्स्थापना हो सकी.
मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी. यदि जयप्रकाश जी चाहते, तो वे राष्ट्रपति बन सकते थे पर उन्होंने कोई पद नहीं लिया. जयप्रकाश जी की इच्छा देश में व्यापक परिवर्तन करने की थी.
इसे वे संपूर्ण क्रांति कहते थे पर जाति, भाषा, प्रांत, मजहब आदि के चंगुल में फंसी राजनीति के कारण उनकी इच्छा पूरी नहीं हो सकी. 8 अक्तूबर, 1979 को दूसरे स्वाधीनता संग्राम के इस सेनानायक का निधन हो गया.