एक नज़र इधर भी

भारतीय समाज में नारी की भूमिका

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आज का युग, परिवर्तन की नई दिशा की ओर बड़ रहा है. देखा जाए तो आज के समाज में काफी हद तक बदलाव आ गये हैं .आज महिलाएं केवल घर-ग्रहस्ती के बंधन तक बंधित नहीं है, सिर्फ चार दिवारी के अंधकार तक सीमित नहीं , बल्कि वहां से बहार निकलकर समाज में अपनी एक अलग पहचान बना रही है, तेज गति से अपने सपनों की उड़ान भर रही है, अपनी कामयाबी के बल पर उन सभी लोगों को मुंहतोड़ जवाब दे रही है जो उसे अबला नारी कहकर धिक्कारते थे.

भारतीय समाज में महिलाओं की एक अहम भूमिका है और महिलाएं अपनी भूमिकाओं को भिन्न-भिन्न रूपों के जरिए निभा रही है. लेकिन वास्तव में देखा जाए तो कई जगहों में अब भी महिलाओं को न जाने किस-किस बवंडर की चपेट में आ जाना पड़ता है. एक तरफ उसे घरेलू झमेलों से जूझना पड़ता है तो दूसरी ओर बाहरी बवंडरो से. प्रायः दिन कहीं ना कहीं उनके ऊपर अत्याचार होता ही रहता है. कभी मानसिक रूप से तो कभी शारीरिक रूप से या कभी आर्थिक रूप से. सती प्रथा, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसे बड़े बड़े धार्मिक अत्याचार का प्रचलन समाप्त हुआ तो है लेकिन कई ग्रामीण इलाकों में आज भी दहेज प्रथा जैसी बुराई जारी है.वहां महिलाओं को दहेज के लिए अभी भी कोसा जाता है.

सिर्फ उसी को नहीं उसके परिवार को भी इससे पीड़ित होना पड़ता है.अत्याचार पे अत्याचार करके उसे अधमरा बना देते हैं. यह दुर्दशा सिर्फ ग्रामीण इलाकों में ही नहीं बल्कि शहरी इलाकों में भी महिलाओं को बहुत सी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. यहां भी वे अत्याचार का शिकार बन जाती है. प्रायः कहीं ना कहीं पर बलात्कार की घटनाएं सामने आती है.यही नहीं बलात्कार के बाद वह उसे मार के फेंक देते हैं.यह समाज कहने के लिए आधुनिक तो है लेकिन कुछ लोगों की सोच अभी भी आधुनिक नहीं बन पाई. उनके लिए महिलाएं अभी भी ना के बराबर ही है. वह उसे कमजोर समझते हैं, अपने परिवार का हिस्सा नहीं मानते, चाहे वह बेटी हो, मां हो पत्नी हो या फिर अन्य कोई.उनकी क्षमताओं को नजरअंदाज किया जाता है.

गौरतलब है कि भारतीय संविधान ने महिलाओं को समान अधिकार (अनुच्छेद १४), अवसर की समानता (अनुच्छेद १६) समान कार्य के लिए समान वेतन( अनुच्छेद ३९ड और ४२) की गारंटी दी. भारत सरकार भी महिलाओं के लिए बहुत सारी योजनाओं का निर्माण कर रही है. बहुत सारी योजनाएं ऐसी है जिसमें मुफ्त में शिक्षा मिल रही है. मगर इसके बाद भी कुछ लोगों की मानसिकता में कोई सुधार नहीं आया.

एक प्रचलित कहावत है कि यदि आप एक आदमी को शिक्षित कर रहे हैं तो सिर्फ एक आदमी को ही शिक्षित कर रहे हैं लेकिन अगर आप एक महिला को शिक्षित कर रहे हैं तो पूरे समाज को शिक्षित कर रहे हैं.

स्त्रियां अब शिक्षा के स्तर में भी काफी आगे बढ़ चुकी है जहां पहले जन्म होने के कुछ समय पश्चात ही लड़कियों को घर -ग्रहस्ती संभालने का पाठ पढ़ाया जाता था, उसी तरफ आज वह उन सब बेड़ियों से आजाद है. आज वह इतनी काबिल बन चुकी है कि घर और बाहर दोनों कामों को संभाल सकती है और अपने हर एक कर्तव्य का पालन में सही रूप से करती है.कहा जाता है कि समाज विकास के लिए नारी विकास बहुत जरूरी है क्योंकि नारी ही समाज की नींव है. देखा जाए तो जब से नारी शिक्षा शुरू हुआ है और इस पर जोर डाला गया है तब से समाज में कई सारे बदलाव देखने को मिले हैं.आज समाज में आवश्यकता है यह मानसिकता लाने की एक नारी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.

आज महिलाएं दुनिया के हर कोने में पहुंच कर पूरे देश का नाम रोशन कर रही है. जिससे समाज आज एक अलग मुकाम पर आकर खड़ा हुआ है. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा है जहां महिलाएं पुरुषों से पीछे है. हर क्षेत्र में महिला पुरुष की भागीदारी में बराबर है.वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए अब आजाद है.आज के डिजिटल भारत में महिलाएं अपने हुनर को दुनिया के सामने पेश कर रही है. प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण साधन बन चुका है.
अब बहुत तेजी से महिलाओं की भागीदारी समाज के विभिन्न पहलुओं पर बड़ी है. खेल के स्तर से लेकर शिक्षा के स्तर तक ,आर्म्ड फोर्स, एविएशन और इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी तक महिलाओं ने ना कि अपनी उपस्थिति दर्ज की है बल्कि अपनी योग्यताओं को भी दर्शाया है.

यह बहुत खुशी की बात है कि आम जनता की सोच में भी बदलाव आ रहा है हालांकि बदलाव बहुत धीमा है लेकिन आशाएं है बहुत अच्छी है उससे यह पता चल रहा है कि आने वाला भविष्य बहुत सुनहरा होगा.

अब समाज समझ चुका है कि बेटियों को भी बेटों के बराबर, हक का दर्जा देना चाहिए. उनको भी बेटों के बराबर योग्य बनाना बहुत जरूरी है. और यह बड़े अच्छे बदलाव की शुरुआत है .संस्कृत में एक श्लोक है – ‘ यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमंते देवता:’. अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वही देवता विराज करते हैं.इसीलिए नारी ही शक्ति है.

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