बिंझौल निवासी मेजर आशीष धौंचक 19-राष्ट्रीय राइफल अनंतनाग में तैनात थे। उनका यहां दो साल पहले ही मेरठ से तबादला हुआ था। एक सूचना के आधार पर उन्होंने कर्नल मनप्रीत और बाकी टीम के साथ सर्च अभियान शुरू किया था। तभी दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के कोकरनाग क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ हो गई।
शहीद मेजर आशीष धौंचक को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में दो गोली लगी थी, जो जांघ में लगकर दूसरी तरफ निकल गई। इसके बाद साथियों ने उन्हें वापस लाने का प्रयास किया, लेकिन वे पीछे हटने को तैयार नहीं हुए और दुश्मनों को मारकर ही वापस चलने की बात कही। इस दौरान खून अधिक बहने से उनकी स्थिति नाजुक होती गई। फिर उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए जम्मू अस्पताल लाया गया पर तब तक काफी देर हो चुकी थी। यही कारण है कि परिवार ने रक्षामंत्री से जवानों की पूरी वर्दी बुलेटप्रूफ करने की मांग उठाई है।
शहीद की अंतिम यात्रा सुबह 8:43 पर उनके टीडीआई स्थित नए घर से पैतृक गांव बिझौल के लिए रवाना हुई। इस दौरान सिख लाइट इंफेंट्री के जवानों ने भी आशीष अमर रहे और भारत माता की जय के नारे लगाए। रास्ते में लोगों ने फूलों की वर्षा कर श्रद्धांजलि अर्पित की।मेजर आशीष की अंतिम यात्रा में एक किलोमीटर से ज्यादा लंबा वाहनों का काफिला पीछे चलता रहा। लोग शहीद मेजर आशीष अमर रहे के नारे लगाते रहे। लोगों ने सोशल मीडिया पर भी स्टेट्स लगाकर मेजर आशीष को श्रद्धांजलि दी।