भारत में बढ़ते अपराध के स्तर को लगाम लगाने में देश की जांच एजेंसी का एक बड़ा रोल होता है. जब मामला लोकल पुलिस से कंट्रोल नहीं होता है तो सरकार सीबीआई को वह काम सौंपती है. दरअसल, सीआईडी और सीबीआई कानून प्रवर्तन एजेंसियों के भीतर के ही एक पार्ट हैं जो अपराध की जांच और मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
सीआईडी स्थानीय स्तर पर काम करती है, अपने अधिकार क्षेत्र के मामलों पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि सीबीआई एक केंद्रीय एजेंसी है जिसका पूरे भारत में अधिकार है, जो नेशनल मामलों को संभालती है. दोनों एजेंसियां अपने-अपने संचालन क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने और न्याय कायम रखने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं.
ये है सीआईडी की हकीकत
सीआईडी मूल रूप से भारत में राज्य पुलिस विंग की एक विशेष विंग है. सीआईडी को राज्य के पुलिस प्रशासन के आधार पर अपराध शाखा (सीबी-सीआईडी), एंटी नारकोटिक्स और अपराध, जांच, अभियोजन और आपराधिक खुफिया जानकारी के संग्रह से संबंधित मामलों से संबंधित कई अन्य प्रभागों में विभाजित किया गया है. भारत के अधिकांश राज्यों के खुफिया और सतर्कता विभाग इसकी उत्पत्ति का पता सीआईडी विंग से लगा सकते हैं.
सीबीआई के पास होता है अधिक पावर
सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) भारत की सबसे महत्वपूर्ण जांच एजेंसी है और इसकी पूरे भारत में उपस्थिति है. हालांकि इसे 1946 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम के तहत दिल्ली पुलिस की एक विशेष इकाई के रूप में स्थापित किया गया था, लेकिन इसे अपना वर्तमान नाम 1963 में भारत सरकार के एक प्रस्ताव के माध्यम से मिला. सीबीआई अपराध जांच, भ्रष्टाचार विरोधी, आर्थिक अपराध और धोखाधड़ी में माहिर है. जब देश के किसी बड़े केस को सॉल्व करना होता है, जो लोकल पुलिस नहीं कर पाती है तो भारत सरकार इस एजेंसी को जिम्मेदारी दे देती है.