एक नज़र इधर भी

इंजेक्शन लगाते वक्त अगर नसों में चला जाए हवा का एक बुलबुला तो क्या होगा, जानिए

सांकेतिक फोटो

आपने कई फिल्मों में देखा होगा कि अक्सर कोई विलेन, किसी की जान लेने के लिए उसके शरीर में खाली सीरिंज लगा देता है और व्यक्ति की मौत हो जाती है. पर सवाल ये उठता है कि फिल्मों में जो ये दर्शाया जाता है, क्या वास्तव में ऐसा होता है या फिर यूं ही दिखा देते हैं? हाल ही में सोशल मीडिया साइट कोरा (Quora) पर किसी ने यही सवाल पूछा. जिसके बाद उसे एक डॉक्टर ने विस्तृत जवाब दिया.

शख्स ने कोरा पर पूछा- “यदि इंजेक्शन लगाते समय हवा का एक बुलबुला इंसान की नस में चले जाए तो क्या होगा?” इसके बाद डॉ. पूर्वी अरोड़ा ने अपना जवाब दिया जिसे आप यहां क्लिक कर के पढ़ सकते हैं.

इस सवाल का हम आपको गहराई से जवाब देंगे. मेडिकल न्यूज टुडे वेबसाइट और हेल्थलाइन की रिपोर्ट के अनुसार शरीर की नसों या धमनियों में हवा घुस जाने को एयर एमबॉलिज्म या गैस एमबॉलिज्म कहते हैं.

धमनियों में घुसने वाली हवा होती है खतरनाक
वेबसाइट के अनुसार नसों में जो हवा के बुलबुले घुसते हैं वो इतने घातक नहीं होते हैं जितने धमनियों में घुसने वाले होते हैं. धमनियों में घुसने वाली हवा से दिल का दौरा भी पड़ सकता है. दरअसल, खून हवा के बुलबुले को दिल तक पहुंचा देता है जिससे दिल का दौरा पड़ जाता है. अगर मस्तिष्क परिसंचरण में हवा के बुलबुलों को डाल दिया जाए तो मौत पक्की होती है. 57 फीसदी ऑर्थोपेडिक सर्जरी से एयर एमबॉलिज्म हो सकता है. अगर 2-3 मिलीलीटर हवा को इंजेक्ट कर दिया जाए तो वो भी जानलेवा हो सकता है.

स्कूबा डाइवर्स की मौत का होता है कारण
रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा स्कूबा डाइविंग की वजह से एयर एमबोलिज्स की समस्या हो जाती है. डाइवर्स में ये मौत का सबसे आम कारण होता है. धमनियों में हवा घुसने से जोड़ों में दर्द, दिल का दौरा या हार्टबीट में बदलाव, उलझन, चमड़ी में जलन, मुंह से खून आने वाले लक्षण देखने को मिलते हैं. कई बार लोगों को दौरा भी पड़ने लगता है.

डॉक्टरों का कहना है कि बहुत कम मात्रा में हवा के जाने से शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं होता है. यही वजह है कि डॉक्टर जब इंजेक्शन लगाते हैं तो उससे पहले उसमें से हवा निकालते हैं.

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