एक नज़र इधर भी

ज्योतिष की नज़र से रसोई घर, गृहणी और बरकत

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कहते है कि किसी के हृदय तक पहुँचने का रास्ता पेट से होकर जाता है अर्थात् स्वादिष्ट भोजन यदि किसी को खिलाया तो वो कोई भी हो आपका मित्र बनते देर न लगाएगा और फ़िर अपने हाथ से बनाकर खिलाने पर तो हम प्रशंसा के ही पात्र नही बनते खिलाने वाले को ही वश मे कर लेते है.

पहले और आज के ज़माने में यही अंतर आ गया है, गृहणियाँ जानती थी कि खाना बनाने की कला ही नही खाना बनाने में रूचि होना सबसे बड़ा वशीकरण मंत्र है जिसके वश में सभी आ जाते है और सुखी गृहस्थ जीवन की शर्तों में एक मुख्य शर्त यह भी है.

आजकल परिवार टूटने, बिखरने या अस्वस्थ रहने के पीछे बहुत बड़ा कारण स्त्री वर्ग का रसोई से जी कतराना भी है. इसके पीछे क्या ज्योतिषीय कारण हो सकते है जानते है-

  1. लग्न व लग्नेश सबसे प्रमुख है इसका पीड़ित होना.
  2. मंगल, गुरु व शुक्र का पीड़ित होना या पाप प्रभाव में होना.
  3. द्वितीय एवम् एकादश भाव में पाप ग्रहों की दृष्टि या पाप ग्रहों का स्थित होना.
    ० मंगल रसोई का कारक है. गुरु खाना पकाने में रूचि जागृत करता है. साथ ही कुंडली में अग़र शुक्र अच्छा है तो मान के चले घर का वास्तु अच्छा ही होगा और रसोई की स्थिति भी उत्तम होगी, पानी की व्यवस्था, सूर्य की पर्याप्त रौशनी और धूएँ की निकासी का उचित प्रबंध होगा.

इन उपरोक्त बातों के अलावा राहु और शनि के दुष्प्रभाव मे यदि गृहणी है तो रसोई घर में पैकेट बंद खाना अधिक मिलेगा. रेफ्रिजिरेटर में बासी खाना होगा, कभी ताजे मसाले नही होगें, केतु का दुष्प्रभाव बासी आटे के प्रयोग से जाना जा सकता है. रात को ही फ्रिज में आटा तैयार करके स्टॉक करना खराब केतु के लक्षण है. प्लास्टिक के अधिकतर बर्तन मिलना यह सब राहु केतु व खराब शनि के प्रभाव है. और रसोई के लिये कहते है कि खाना रसोई में बैठकर खाया तो राहु महाराज शांत हो जाते है, लेकिन यही राहु बुरा प्रभाव देने पे रसोई घर से अरूचि उत्पन्न करता है. रात्रि को झूठे बर्तन सिंक में छोड़ना राहु केतु के पीड़ा को और बढ़ाता है साथ ही चंद्र को भी खराब करता है.

रसोई में खाना स्नान के बाद बनाए और उससे पूर्व रोज़ गोबर के उपले में घी गूगल और कपूर की टिकिया से धूनी दे ताकि घर में बरकत हो व खाना घर के चूल्हे पे पके. गृह स्वामी की कुंडली का द्वितीय भाव जो कि धन संचय का है एवम् एकादश भाव जो लाभ का है गृहणियाँ घर में रसोई में नियमित कार्य करके एक्टिव कर सकती है. सुखी और समृद्धि की पहचान है घर का चलती रसोई.

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