राहुल गांधी को सूरत कोर्ट द्वारा 02 साल की सजा के बाद ये चर्चाएं जोर शोर से हैं कि ये सजा मिलने के बाद वह खुद ब खुद ही संसद की सदस्यता के अयोग्य हो जाएंगे. जानते हैं कि इस बारे में नियम क्या कहते हैं. किन नियमों, प्रावधानों और कानून के तहत कोई संसद सदस्य या विधायक या विधान परिषद सदस्य संसद की सदस्यता खो बैठता है.
संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत अयोग्यता का प्रावधान
– अगर वह केंद्र या राज्य सरकार में लाभ के पद पर हो
– अगर उसकी दिमागी स्थिति सही नहीं हो और कोर्ट ने उसे दिमागी तौर पर अनफिट करार दे दिया हो
– अगर वह डिस्चार्ज्ड दीवालिया हो
– अगर वह भारत का नागरिक नहीं हो. अगर उसकी नागरिकता खत्म कर दी गई हो या उसने स्वैच्छा से दूसरे देश की नागरिकता स्वीकार कर ली हो.
– अगर वह संसद द्वारान बनाए किसी कानून के तरह अयोग्य ठहराया गया हो
जनप्रतिनिधित्व कानून 1951
अयोग्यता और कैद की सजा पर
– ये कानून कहता है कि अगर कोई व्यक्ति दोषी पाए जाने के बाद दो साल या ज्यादा की सजा अदालत से पाता है तो वह अयोग्य ठहरता है
– ऐसे में व्यक्ति 06 साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य हो जाएगा.
मौजूदा सदस्यों को इसमें एक छूट या राहत भी मिलती है
मौजूदा सांसदों, विधायकों और विधानपरिषद सदस्यों को एक राहत भी मिलती है. उन्हें दोषी ठहराए जाने के दिन से अपील के लिए 03 महीने की छूट मिलती है.
दलबदल कानून के जरिए
संविधान सांसद को दलबदल कानून के तहत भी अयोग्य पाने जाने पर सदस्यता से वंचित करता है. इसका प्रावधान संविधान की 10वीं सूची में है.
– अगर वह दलबदल कानून के तहत अयोग्य हो जाए
– अगर वह स्वैच्छा से अपनी सियासी पार्टी की सदस्यता छोड़ दे जिससे मिले टिकट के आधार पर वह जीतकर सदन में आया है
– अगर वह पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए वोटिंग करे या सदन से वोटिंग में गैरमौजूद रहे