महात्मा गांधी की मुस्कुराती तस्वीर भारतीय रुपये की पहचान है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गांधी की तस्वीर रुपये पर कब और कैसे आई? यह तस्वीर कहां की है? किसने खींची है? आजादी के 49 साल बाद तक महात्मा गांधी की तस्वीर स्थायी तौर पर भारतीय करेंसी पर नहीं छपती थी, बल्कि इसकी जगह अशोक स्तंभ छपा करता था.
15 अगस्त 1947 को देश आजाद तो हो गया, लेकिन दो साल बाद तक आजाद भारत की करेंसी के रंग-रूप में कोई बदलाव नहीं हुआ. साल 1949 तक नोट पर ब्रिटेन के राजा किंग जॉर्ज (छठवें) की तस्वीर ही छपती रही. 1949 में भारत सरकार पहली बार 1 रुपये के नोट का नया डिजाइन लेकर आई और इसपर किंग जॉर्ज की जगह अशोक स्तंभ को छापा गया.
1950 में सरकार ने 2, 5, 10 और 100 रुपये के नोट छापे. इन नोटों पर भी अशोक स्तंभ की तस्वीर ही छपी. अगले कुछ सालों तक भारतीय रुपए पर अशोक स्तंभ के साथ-साथ अलग-अलग तस्वीरें छपती रहीं. मसलन- आर्यभट्ट सैटेलाइट से लेकर कोणार्क का सूर्य मंदिर और किसान तक की.
साल 1969 में पहली बार रुपये पर महात्मा गांधी की तस्वीर नजर आई. उस साल महात्मा गांधी की 100वीं जयंती थी और इसी उपलक्ष्य में खास सीरीज जारी की गई थी. इस सीरीज के नोट में महात्मा गांधी की सेवाग्राम आश्रम की एक तस्वीर छापी गई थी. साल 1987 में दूसरी बार 500 रुपये के नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी गई.
साल 1995 में रिजर्व बैंक ने करेंसी नोट पर स्थायी रूप से महात्मा गांधी की तस्वीर छापने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा. सरकार की मंजूरी के बाद 1996 में अशोक स्तंभ की जगह महात्मा गांधी की तस्वीर वाली करेंसी छपने लगी. हालांकि तब भी अशोक स्तंभ को नोट से पूरी तरह नहीं हटाया गया, बल्कि बाईं तरफ छोटे आकार में छपता रहा. साल 2016 में रिजर्व बैंक ने महात्मा गांधी की तस्वीर वाली नोटों की एक नई सीरीज लॉन्च की. नोट पर महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ-साथ दूसरी तरफ ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का लोगो भी छापा.
भारतीय रुपये पर महात्मा गांधी की जो तस्वीर दिखती है वह कोई कैरीकेचर या इलस्ट्रेशन नहीं है, बल्कि एक ओरिजिनल फोटो का कट आउट है. यह तस्वीर साल 1946 में कलकत्ता (अब कोलकाता) के वायसराय हाउस में खींची गई थी. तब महात्मा गांधी ब्रिटिश नेता लॉर्ड फ्रेडरिक विलियम पेथिक लॉरेंस से मिलने गए थे. इसी दौरान उनकी यह तस्वीर ली गई थी.
महात्मा गांधी जयंती विशेष: भारतीय नोटों पर कैसे छपी महात्मा गांधी की तस्वीर, जानिए इसके पीछे का इतिहास
Topics
- Featured
- podcast
- technical
- अनोखेलाल
- अल्मोड़ा
- अल्मोड़ा
- अल्मोड़ा
- उत्तरकाशी
- उत्तरकाशी
- उत्तरकाशी
- उत्तराखंड
- उत्तराखंड चुनाव 2022
- उधमसिंह नगर
- उधमसिंह नगर
- एक नज़र इधर भी
- करियर
- कुमाऊं
- क्राइम
- क्रिकेट
- खुशखबरी
- खेल-खिलाड़ी
- गढ़वाल
- चंपावत
- चंपावत
- चंपावत
- चमोली
- चमोली
- चमोली
- चुनाव 2024
- ज़िला अल्मोड़ा
- ज़िला उत्तरकाशी
- ज़िला ऊधम सिंह नगर
- ज़िला चंपावत
- ज़िला चमोली
- ज़िला टिहरी
- ज़िला देहरादून
- ज़िला नैनीताल
- ज़िला पिथौरागढ़
- ज़िला पौड़ी
- ज़िला बागेश्वर
- ज़िला रुद्रप्रयाग
- ज़िला हरिद्वार
- ज्योतिष
- टिहरी
- टिहरी
- टिहरी
- टॉप कॉलेज
- टॉप स्कूल
- ताजा हलचल
- देश
- देहरादून
- देहरादून
- देहरादून
- धर्म
- नैनीताल
- नैनीताल
- नैनीताल
- पंजाब चुनाव 2022
- पर्यटन
- पर्यटन के आयाम
- पिथौरागढ़
- पिथौरागढ़
- पिथौरागढ़
- पौड़ी
- पौड़ी
- पौड़ी
- प्रतिभा सम्मान
- फोटो गैलेरी
- बड़ी खबर
- बागेश्वर
- बागेश्वर
- बागेश्वर
- बिजनेस
- मंथन
- मनोरंजन
- मौसम
- यूपी चुनाव 2022
- राज्य-नीतिक हलचल
- रिजल्ट
- रिलेशनशिप
- रुद्रप्रयाग
- रुद्रप्रयाग
- रुद्रप्रयाग
- लाइफस्टाइल
- लोकहित कार्य नीति
- विदेश
- वीडियो
- व्यवसाय की गति
- शिक्षा
- शिक्षा नीति
- सपनों का उत्तराखंड
- स्कॉलरशिप
- स्वास्थ्य
- हमारी विरासत
- हरिद्वार
- हरिद्वार
- हरिद्वार
- हादसा
- हैलो उत्तराखंड
- होम
More
Popular Categories