हिंदू धर्म में सूर्य को जल देने की परंपरा बहुत पुरानी है जिसे आज भी निभाते हैं. श्रद्धालु हर रोज सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं. शास्त्रों में भी सूर्य देवता को जल देने का विशेष महत्व है. ज्योतिष शास्त्रों में कहा गया है कि कुंडली में सूर्य देवता की कमजोर स्थिति को मजबूत करने के लिए रोजाना सूर्य देवता को जल चढ़ाना चाहिए.
भगवान सूर्य को जल चढ़ाने का वैज्ञानिक महत्व भी है. आइए जानते हैं भगवान सूर्य को जल देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. साथ ही इसके वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व के बारे में.
रविवार के दिन भगवान सूर्य की पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और विधि- विधान से पूजा की जाती है. मान्यता है कि रोजाना सूर्यदेव को जल अर्पित करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत बनी रहती है.
ज्योतिषों के अनुसार, कुंडली में अगर शनि दोष है तो रोजाना जल चढ़ाने से उसका प्रभाव कम हो जाता है. इसके अलावा चंद्रमा में भी जल का तत्व होता है, जब हम सूर्य को अर्घ्य देते है तो सूर्य ही नहीं चंद्रमा से बनने वाले योग भी कुंडली में विशेष रूप से सक्रिय होते हैं.
सूर्य को अर्घ्य देने का वैज्ञानिक महत्व
सूर्य को जल चढ़ाते समय हर एक बूंद माध्यम की तरह काम करती हैं जो वातावरण में मौजूद सभी विषाणु पदार्थों को दूर करने का काम करती है. हर रोज सूर्य को अर्घ्य देने से हमारी हड्डियां मजबूत होती है. सूर्य की किरणे हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं.
कैसे दें सूर्य को जल
सुबह- सुबह उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को तांबे के बर्तन से जल अर्पित करना चाहिए.
सूर्य देव को जल चढ़ाने से पहले चुटकी भर लाल रंंग और लाल फूलों के साथ जल अर्पित करें.
सूर्य देवता को जल अर्पित करते समय 11 बार ओम सूर्याय नम: का जाप करना चाहिए.