मंगलवार को हाईकोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई हुई। इस मुद्दे पर इंतजामिया मसाजिद के वकील सैयद फरमान नकवी ने 2 फरवरी को हुई अपनी बहस को आगे बढ़ाते हुए मुस्लिम पक्ष की ओर से व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना की शुरुआत के आदेश को चुनौती दी गई है। इसके अलावा, जिला जज के वाराणसी के डीएम को व्यास जी के तहखाने का रिसीवर नियुक्त किए जाने के आदेश को भी चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ में कल दोपहर को संशोधित अर्जी पर सुनवाई हुई।
राखी सिंह की ओर से पेश किए गए अधिवक्ता सौरभ तिवारी और अनुपम द्विवेदी ने अदालत में यह दावा किया कि ज्ञानवापी के बंद तहखानों, एस-1 और एन-1, का एएसआई से सर्वे करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सर्वे इसलिए आवश्यक है कि 15 अगस्त 1947 को इस परिसर का धार्मिक पहलू क्या था, इसे स्पष्ट किया जा सके। उन्होंने कहा कि
ज्ञानवापी में दक्षिण में एस-1 और उत्तर में एन-1 तहखाने का सर्वे नहीं किया गया है। दोनों के बीच जाने का मार्ग ईंट-पत्थर से रोका गया है। बंद दरवाजों के ईंट-पत्थर पर पूरी इमारत का बोझ नहीं है, और इसलिए इन्हें हटाकर और वर्तमान इमारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हुए सभी बंद तहखानों का वैज्ञानिक सर्वे किया जा सकता है।