दुनिया आज परमाणु हथियारों के ढेर पर बैठी है. आधिनुक समय में इन परमाणु हथियारों की विनाशकारी ताकत हमने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान देखी है. जापान के दो प्रमुख शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका ने परमाणु हमले किए थे और वहां की पूरी मानवता खत्म हो गई. आधुनिक इतिहास में पहली बार छह अगस्त 1945 को दूसरे वर्ल्ड वार के दौरान हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया था.
लेकिन, एक ताजा स्टडी में यह तथ्य सामने आया है कि भारत का एक प्राचीन शहर परमाणु विस्फोट में पूरी तरह तबाह हो गया. उसकी पूरी सभ्यता तबाह हो गई. उस वक्त यह शहर बेहद एडवांस था और इसकी इंजीनियरिंग और आर्टिटेक के नमूने आज भी देखे जा सकते हैं. ब्रिटिश न्यूजपेपर द सन की वेबसाइट thesun.co.uk की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 3700 साल पहले यह परमाणु विस्फोट हुआ. यह विस्फोट कहीं और नहीं बल्कि अपने भारत के भूभाग में हुआ था.
बेहद हाई रेडिएशन
यह दावा करने वाली फर्स्ट क्लास स्पेस एजेंसी के सीईओ बिली कारसन का कहना है कि इस शहर से मिले कंकालों से पता चलता है कि यहां पर एक परमाणु विस्फोट हुआ होगा और इसी कारण यह पूरा शहर तबाह हो गया. ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर क्या उस वक्त यह शहर और यहां की सभ्यता इतनी विकसित थी कि उसने जटिल परमाणु उपकरणों का विकास कर लिया था? अगर ऐसा है तो वाकई हमारे पुरखे बहुत विकसित थे और वे विज्ञान के क्षेत्र काफी आगे थे.
दरअसल, इस शहर का नाम मोहनजोदड़ो है. मौजूदा वक्त में यह पाकिस्तान का हिस्सा है लेकिन करीब 3700 साल पहले यह पूरा इलाका हिंदुस्तान कहलाता था. यह सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा था. मोहनजोदड़ो के अवशेष आज भी मौजूद हैं. यहां की खुदाई से पता चला था कि यहां दुनिया की सबसे विकसित सभ्यता हुआ करती थी. मोहनजोदड़ो के साथ-साथ हड़प्पा की भी चर्चा हम इतिहास की किताबों में पढ़ते हैं. ये दोनों जगह मौजूदा वक्त में पाकिस्तान के हिस्सा हैं. ये यूनेस्को की धरोधरों की सूची में हैं.
आज भी मिलते हैं मानव कंकाल
बिली ने कहा कि मोहदजोदड़ो में मानव कंकालों में हाई लेवल का रेडिएशन पाया गया. पाकिस्तान के मोहनजोदड़ो में खुदाई में ये कंकाल मिले थे. रेडिएशन के हाई लेवल से पता चलता है कि वहां पर निश्चित रूप में एक परमाणु विस्फोट हुआ होगा.
बिली आगे कहते हैं कि इस विस्फोट की वजह से ही उस वक्त वहां की इमारतें, रेत सब ग्लास बन गए होंगे और एक दूसरे का हाथ पकड़े लोग मर गए. उनके कंकाल उसी रूप में पाए गए. इन कंकालों को जानवरों तक ने भी कभी नहीं छूआ.
हजारों साल बाद आज भी वहां की गलियों में डेड बॉडी पड़े हुए मिल जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि यह प्राचीन शहर 2500 से 1900 ईसा पूर्व में था. इस करीब 3700 साल पहले खाक हो गया. 1920 के दशक में इस शहर का पता चला था. वह भी ब्रिटिश राज के दौरान रेलवे लाइन बिछाने के लिए चल रही खुदाई में ईंटों की एक मोटी दीवार मिली थी. फिर इसे से आगे पूरी सभ्यता का पता चला था.
बेहद एडवांस शहर
मोहनजोदड़ो के बारे में जानकारों का कहना है कि यह एक बेहद एडवांस शहर था. वहां की अर्बन प्लानिंग और सिविल इंजीनियरिंग बेहतरीन थी. जानकार तो यहां तक कहते हैं कि मोहनजोदड़ो से ज्याद विकसित हड़प्पा की संस्कृति थी.
बिली कहते हैं कि अभी तक पुख्ता तौर पर कोई यह नहीं बता पाया है कि इतना एडवांस शहर कैसे तबाह हो गया. लेकिन, वह अपने शोध से यह 100 फीसदी भरोसे के साथ कह सकते हैं कि यहां पर बड़ा परमाणु विस्फोट हुआ था. इस विस्फोट की वजह से यहां का तापमान कोई 3000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा होगा और पल भर में सब कुछ खत्म हो गया होगा.
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