बता दें कि विश्वभर के अलग अलग देशों में अपने-अपने तरीके से लोग क्रिसमस मनाते हैं. हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया क्रिसमस डे के तौर पर मनाती है. 24 दिसंबर की शाम से इस त्योहार का जश्न शुरू हो जाता है. इस बार क्रिसमस डे का सेलिब्रेशन कुछ अलग है. कोरोना महामारी के चलते कई देशों में लॉकडाउन लगा दिया गया है.
कई क्रिसमस पार्टी पर भी पाबंदी लगा दी गई है. ऐसे में क्रिसमस फेस्टिवल का रंग कुछ अलग देखने को मिलेगा लेकिन दोस्तों और परिवार के साथ क्रिसमस का त्योहार खुशियों भरा ही रहेगा.
खासतौर पर बच्चों के मन में क्रिसमस के त्योहार के लिए उमंग होती है, क्योंकि वह यह मानते हैं कि क्रिसमस की रात सांता आएंगे और उनकी सभी विशेज पूरी करेंगे.
क्रिसमस को खास उसकी परंपराएं बनाती हैं. इनमें एक संता निकोलस हैं, जिनका जन्म ईसा मसीह की मृत्यु के लगभग 280 साल बाद मायरा में हुआ था. उन्होंने अपना पूरा जीवन यीशु को समर्पित कर दिया. उन्हें लोगों की मदद करना बेहद पसंद था.
यही वजह है कि वो यीशु के जन्मदिन के मौके पर रात के अंधेरे में बच्चों को गिफ्ट दिया करते थे. दरअसल संत निकोलस को सांता क्लॉज माना जाता है, क्योंकि वे रात के वक्त उपहार बांटते थे. सांता क्लॉज का जब नाम आता है तो जेहन में एक इमेज उभरती है. जिसमें सांता क्लॉज बर्फ के पहाड़ों के ऊपर से उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर सवार होकर चले आ रहे हैं.
दरअसल जो बर्फ का जो क्षेत्र नजर आता है वह उत्तरी ध्रुव यानि नॉर्थ पोल का है. माना जाता है कि सांता उत्तरी ध्रुव से ही अपने उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर सवार होकर निकलते हैं और जो भी रात में उन्हें मिलता है उसे वे गिफ्ट देते जाते हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार