एक नज़र इधर भी

लोकसभा चुनाव 2024 बना दुनिया का सबसे महंगा चुनाव, आकड़े उड़ा देंगे होश

0
500 Indian rupees money composition. Financial background. Many banknotes and wads of money. Business or economy concept. Cash.

लोकसभा चुनाव 2024 का सातवें और आखिरी चरण के लिए वोटिंग हो रही है. इस चरण में सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश (UT) की 57 सीटों पर 904 उम्मीदवारों के लिए मतदान हो रहा है. इसी बीच 2024 के आम चुनाव को लेकर एक बड़ी रिपोर्ट सामने आई है. दरअसल सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के मुताबिक, 2024 का लोकसभा चुनाव पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए दुनिया का सबसे महंगा चुनाव बन गया है. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में एक भारतीय वोट की कीमत को लेकर भी चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया है.

सत्तारूढ़ भाजपा से लेकर विपक्षी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी तक, सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के मुताबिक, भारत में एक वोट की कीमत अब लगभग 1400 रुपये तक पहुंच गई है.

गौरतलब है कि, चाहे चुनाव कोई भी हो.. राजनीतिक दल, मतदाताओं का दिल जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. इसी के चलते, सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की रिपोर्ट में 2024 के आम चुनाव में कुल अनुमानित व्यय 1.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, जोकि पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में खर्च 55,000-60,000 करोड़ रुपये से कई ज्यादा है. न सिर्फ इतना बल्कि, ये आंकड़ा 2020 के अमेरिकी चुनावों में खर्च 1.2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है.


चुनाव आयोग ने तय की है खर्च सीमा
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा तय कर दी है. प्रत्येक संसद सदस्य (MP) कानूनी तौर पर 95 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है, जबकि विधान सभा के सदस्य (विधायक/MLAs) राज्य के आधार पर 28 लाख रुपये से 40 लाख रुपये के बीच खर्च कर सकते हैं. अरुणाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों में सांसदों के लिए सीमा 75 लाख रुपये और विधायकों के लिए 28 लाख रुपये है. मुद्रास्फीति को देखते हुए 2022 में इन सीमाओं को संशोधित किया गया था.

हालांकि, राजनीतिक दलों द्वारा खर्च की कोई सीमा नहीं है. व्यय सीमा व्यक्तिगत उम्मीदवारों पर तभी लागू होती है जब वे अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हैं, जिसमें सार्वजनिक बैठकें, रैलियां, विज्ञापन और परिवहन जैसे अभियान खर्च शामिल होते हैं.

चुनावी खर्च की तुलना
ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो खर्च सीमा में इजाफा साफ नजर आता है. 1951-52 में पहले आम चुनाव के दौरान, उम्मीदवार 25,000 रुपये खर्च कर सकते थे. यह सीमा अब 300 गुना बढ़कर 75-95 लाख रुपये हो गई है. कुल मिलाकर चुनाव खर्च भी बढ़ गया है, जो 1998 में 9,000 करोड़ रुपये से छह गुना बढ़कर 2019 में लगभग 55,000 करोड़ रुपये हो गया है.

Exit mobile version