शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि कक्षा एक में प्रवेश की न्यूनतम उम्र 6 साल तय की जाए. बुधवार को यह जानकारी अधिकारियों ने दी. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, शुरुआती पांच साल की उम्र सीखने का फंडामेंटल स्टेज है. जिसमें तीन साल का प्री स्कूल एजुकेशन और इसके बाद क्लास-1 और 2 शामिल हैं.
शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि नई शिक्षा नीति प्री स्कूल से कक्षा 2 तक के बच्चों के निर्बाध सीखने और विकास को बढ़ावा देती है. यह केवल आंगनवाड़ियों या सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, निजी और एनजीओ में पढ़ने वाले बच्चों के लिए तीन साल की गुणवत्तापूर्ण प्री स्कूल शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करके ही किया जा सकता है.
अधिकारी ने कहा, मंत्रालय ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे प्रवेश के लिए अपनी आयु नीति में जरूरी बदलाव करें और छह साल या इससे अधिक आयु सके बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश दें.
मार्च 2022 में लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, राज्यों में पहली कक्षा में दाखिले की उम्र सीमा में काफी भिन्नताएं हैं. देश के 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहां छह साल उम्र से पहले बच्चों को पहली कक्षा में दाखिले की अनुमति है.
राज्यों में भिन्न-भिन्न है उम्र सीमा
असम, गुजरात, पुदुचेरी, तेलंगाना और लद्दाख में पांच साल के बच्चों का पहली कक्षा में दाखिला हो सकता है. वहीं, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, गोवा, झारखंड, कर्नाटक और केरल में कक्षा 1 में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल से अधिक है.
बिगड़ रहा नामांकन का अनुपात
रिपोर्ट के अनुसार, पहली कक्षा में दाखिले की उम्र नई शिक्षा नीति के अनुसार नहीं होने के चलते विभिन्न राज्यों में शुद्ध नामांकन अनुपात की माप प्रभावित हो रही थी. रिपोर्ट के अनुसार, 28 मार्च 2022 को शिक्षा मंत्रालय ने लोकसभा को बताया कि इस विसंगति के कारण आयु-उपयुक्त कक्षाओं में बच्चों के नामांकन की गलत रिपोर्टिंग होती है.