भारत सरकार आर्थिक अपराधियों को विशिष्ठ पहचान देने की योजना बना रही है. इन लोगों में नीरव मोदी, विजय माल्या और मेहुल चौकसी जैसे लोग शामिल हो सकते हैं. केवल उद्योगों व उद्योगपतियों ही नहीं बल्कि आर्थिक अपराध करने वाले राजनेताओं की भी यह आईडी बनाई जाएगी.
यह आईडी जारी करने का मकसद अपराधियों के खिलाफ विभिन्न एजेंसियों द्वारा जांच में तेजी लाना है. खबरों की मानें तो यूनीक आईडी जारी हो जाने से इन लोगों व संस्थानों के आर्थिक अपराध की ट्रैकिंग आसान हो जाएगी. इससे विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल भी बेहतर होने की उम्मीद है.
बहुत जल्द ही इस योजना को अमली जामा पहनाया जा सकता है. सरकार एक यूनीक आईडी सिस्टम लॉन्च करने की तैयारी में है. जिस भी कंपनी या शख्स ने आर्थिक अपराध किया होगा उन्हें एक यूनीक आईडी दी जाएगी.
आर्थिक अपराध करने वाले व्यक्ति की आईडी आधार कार्ड से लिंक होगी जबकि कंपनी की आईडी को पैन कार्ड से लिंक किया जाएगा. खबर के मुताबिक ऐसे करीब 2.5 लाख अपराधी हैं जिन्हें यह आईडी दी जाएगी. इस लिस्ट को सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस ब्यूरो ने तैयार किया है.
कोड को औपचारिक तौर पर यूनीक इकोनॉमिक ऑफेंडर कोड (विशिष्ट आर्थिक अपराधी कोड) कहा जाएगा. यह अल्फा न्यूमेरिक कोड होगा. इसका मतलब है कि इसमें अंग्रेजी के अक्षर और गिनतियां दोनों होंगी. एक बार पुलिस या जांच एजेंसी द्वारा नेशनल इकोनॉमिक ऑफेंस रिकॉर्ड में डाटा डालने के बाद संबंधित व्यक्ति या संस्थान को यह कोड असाइन कर दिया जाएगा. यूनीक कोड उन सभी संस्थानों और व्यक्तियों को दिया जाएगा जिन पर आर्थिक अपराध का मुकदमा चल रहा है. इसमें दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम भी शामिल होंगे.
खबर के अनुसार, नेशनल इकोनॉमिक ऑफेंस रिकॉर्ड को अभी पूरी तरह क्रियान्वित होने में 4 महीने का समय लगेगा. उसके बाद इसमें डाटा फीड किया जा सकेगा. भारत की योजना है कि वह इस प्रोजेक्ट फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में दिखाए जो इस साल की दूसरी छमाही में होने की उम्मीद है.