भारतीय रुपये की वैल्यू पिछले कुछ समय से बड़ी तेजी से कम हो रही है. रुपया लगातार एक के बाद एक नए निचले स्तर पर पहुंच रहा है. शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 82 के स्तर के पार चला गया.
डॉलर की तुलना में रुपया 82.22 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. जबकि शुरुआती कारोबार में भारतीय मुद्रा 16 पैसे की गिरावट के साथ 82.33 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गई थी.
इस कैलेंडर वर्ष में रुपया अब तक 10 फीसदी से भी ज्यादा फिसल चुका है. रुपया की ताजा गिरावट अमेरिकी फेड के अधिकारियों की ओर से दिए गए बयान के बाद हुई. शिकागो फेड के अध्यक्ष चार्ल्स इवांस ने कहा कि उनकी नीति दर 2023 के स्प्रिंग तक 4.5 फीसदी से 4.75 फीसदी तक पहुंचने की संभावना है.
अमेरिकी मुद्रा की तेजी और कारोबारियों की ओर से रिस्क से बचने की प्रवृत्ति की वजह से शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 82.19 पर खुला था. इससे पहले गुरुवार को भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले पहली बार 82 के स्तर से नीचे बंद हुई थी. पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 55 पैसे गिरकर 82.17 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था.
कैसा रहा डॉलर इंडेक्स?
अमेरिकी डॉलर की बात करें, तो छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.14 फीसदी टूटकर 112.10 पर था. उल्लेखनीय है कि वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा 0.10 फीसदी गिरकर 94.33 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर आ गया है.
रुपया गिरने से क्या होगा असर?
मालूम हो कि रुपये का गिरने से आम आदमी पर सीधा असर होगा. इससे विदेश यात्रा, आयात, ईंधन और विदेशों में पढ़ाई की लागत बढ़ जाती है. रुपये की कीमत गिरने का सबसे बड़ा प्रभाव पेट्रोल-डीजल की कीमत पर पड़ता है, क्योंकि भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है.
डॉलर की वैल्यू बढ़ने से हमारे लिए कच्चा तेल महंगा हो जाएगा और सरकार को पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि करनी पड़ सकती है. इसी तरह देश में जिन उत्पादों को आयात किया जाता है, इन सभी के बिल बढ़ जाएंगे.