भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 7 दिसंबर को साल 2022 की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक नीति के फैसलों का ऐलान किया. महंगाई के बीच आरबीआई के सामने इकोनॉमी को गति देने सहित कई चुनौतियां हैं. केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को फिर से बढ़ाने का फैसला लिया है.
एमपीसी ने 5:1 के बहुमत से इस बढ़ोतरी का ऐलान किया है. रेपो रेट 35 आधार अंक बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दी गई है. पहले यह 5.90 फीसदी पर थी. स्थायी डिपॉजिट फैसिलिटी 6 फीसदी पर है और एमएसएफ रेट और बैंक रेट 6.50 फीसदी पर है. उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने ब्याज दरों में लगातार 5वीं बार बढ़ोतरी की है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 6.8 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है. पहले इसके सात फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया था. चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में यह 4.4 फीसदी और चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 4.2 फीसदी रह सकती है.
अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 की पहली तिमाही में वृद्धि दर 7.1 फीसदी रह सकती है. वहीं दूसरी तिमाही में इसके 5.9 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया है. दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगी.
केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी में काफी अनिश्चितताएं हैं. भारत के मैक्रो-इकोनॉमिक फंडामेंटल मजबूत हैं. बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ 8वें महीने 10 फीसदी के ऊपर है. दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति का ब्याज दरों के मामले में उदार रुख वापस लेने का रुख अब भी बरकरार है. उन्होंने कहा कि ग्लोबल स्तर पर अनिश्चितताओं के बाद भी इंडियन इकोनॉमी मजबूत बनी हुई है. निवेश के लिए भारत आकर्षक गंतव्य बना हुआ है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खाद्य सामग्री की कमी और फ्यूल की बढ़ी हुई कीमत से गरीब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से ग्लोबल स्तर पर महंगाई ऊंची बनी हुई है.
दास ने यह भी कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है. ऐसे में मौद्रिक कदम उठाने की जरूरत है. अगले 12 महीनों में महंगाई 4 फीसदी के लक्ष्य से ज्यादा रह सकती है. केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई का अनुमान नहीं बदला है. वित्त वर्ष 23 में यह 6.7 फीसदी रह सकती है. चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में यह क्रमश: 6.6 फीसदी और 5.9 फीसदी रह सकती है. अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 5 फीसदी और दूसरी तिमाही में इसके 5.4 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया है.
एग्रीकल्चर सेक्टर मजबूत है. रबी की बुवाई सामान्य से 6.8 पीसदी ज्यादा है. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर की अवधि में नॉन- एग्रीकल्चर लोन बढ़कर 10.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है. पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 1.9 लाख करोड़ रुपये था. दास ने कहा कि रिजर्व बैंक आंकड़ों पर गौर करने के बाद नीतिगत कदम उठाएगा. आने वाले महीनों में नकदी की स्थिति में सुधार होगा.मालूम हो कि देश में बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई इस साल मई से अब तक रेपो रेट में पांच बार कुल 2.25 फीसदी की वृद्धि कर चुका है.