रिजर्व बैंक ने 3 दिन तक चली बैठक के बाद आखिर आम आदमी के हित में फैसला लिया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद गुरुवार को बताया कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. इससे महंगाई से जूझ रही जनता को बड़ी राहत मिलेगी. यह लगातार दूसरी बार है जब रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को स्थिर बनाए रखा है.
रिजर्व बैंक की MPC बैठक मंगलवार को शुरू हुई थी और 3 दिन तक बैठक में मंथन के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि अभी आम आदमी पर महंगे कर्ज का बोझ डालने का सही समय नहीं है. लिहाजा रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया और इसे 6.5 फीसदी पर बनाए रखा गया है.
इसका मतलब है कि आम आदमी का होम लोन, ऑटो लोन या अन्य किसी भी तरह का खुदरा कर्ज महंगा नहीं होगा और उन पर ईएमआई का बोझ भी नहीं आएगा. 2023 में पहले ही आरबीआई 2.5 फीसदी रेपो रेट बढ़ा चुका है. समिति में शामिल 6 में से 5 सदस्यों ने रेट को स्थिर बनाए रखने के पक्ष में वोट किया है.
आरबीआई गवर्नर दास ने साफ कहा है कि अभी उनका फोकस महंगाई को थामने पर है. गवर्नर ने बताया कि हमारा लक्ष्य खुदरा महंगाई की दर को 4 फीसदी तक लाने का है. अभी महंगाई दर हमारे लक्षय से ऊपर है, लिहाजा हम कर्ज की ब्याज दरों को स्थिर बनाए रखेंगे. खुदरा महंगाई की वजह से ही आम आदमी पर खर्च का बोझ बढ़ गया है. ऐसे में ईएमआई का बोझ बढ़ाना ठीक नहीं होगा.
आरबीआई गवर्नर ने दुनियाभर में छाए मंदी के खतरे को भांपते हुए बैंकिंग सेक्टर की मजबूती और स्थिरता को बनाए रखने पर ज्यादा जोर दिया. यही कारण है कि बैंकों के स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) को 6.25 फीसदी और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट (MSF) को 6.75 फीसदी पर स्थिर बनाए रखा है. गवर्नर ने अपने भाषण में एक बात और कही कि मौद्रिक समिति का जोर सुविधाओं को धीरे-धीरे समाप्त करने पर है और इसे