संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के तहत 2021 की 191 देशों के मानव विकास सूचकांक (Human Development Index 2021) की रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें भारत (India) की स्थिति अच्छी नहीं है. मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत 132वें स्थान पर है.
इससे पहले 2020 में भारत इस मामले में एक पायदान आगे यानी 131वें स्थान पर था. हालांकि, 2020 में 189 देशों की सूची साझा की गई थी. मौजूदा सूचि में भारत का एडीआई मान 0.6333 है. इस मानदंड के मुताबिक, भारत मध्यम मानव विकास श्रेणी में है. यह एचडीआई मान 2020 की रिपोर्ट में इसके मान 0.645 से कम है.
2019 में भारत का एचडीआई मान 0.645 था जो 2021 में 0.633 तक आ गया, इसके लिए औसत आयु में गिरावट को कारण माना जा रहा है. भारत में औसत आयु 69.7 वर्ष से घटकर 67.2 वर्ष हो गई है. रिपोर्ट और जिन मानकों के आधार पर तैयार की जाती है, उनमें एक मुद्दा स्कूली शिक्षा का भी है. भारत में स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष 6.7 हैं जबकि इसे 11.9 वर्ष होना चाहिए. स्वास्थ्य, शिक्षा और औसत आय के आधार पर मानव विकास सूचकांक में 2020 और 2021 में गिरावट दर्ज की गई जबकि इससे पहले के पांच वर्षों में काफी विकास हुआ.
कई पड़ोसी देशों से पीछे भारत
भारत की मौजूदा रैंकिंग को वैश्विक स्तर पर गिरावट के अनुरूप बताया गया है. मौजूदा रैंकिंग को लेकर कहा जा रहा है कि 32 वर्षों में पहली बार दुनियाभर में मानव विकास ठहर सा गया है. वैश्विक स्तर पर इंसान की औसत आयु में भी गिरावट हुई है, 2019 में यह 72.8 वर्ष थी जो घटकर 2021 में 71.4 वर्ष हो गई. जानकार समस्या से निपटने के लिए वैश्विक एकजुटता की भावना को विकसित करने पर जोर दे रहे हैं.
लंबा और स्वस्थ जीवन, शिक्षा तक पहुंच और सभ्य जीवन स्तर, इन तीन प्रमुख मुद्दों पर मानव विकास सूचकांक तैयार किया जाता है. इन मुद्दों को गणना चार संकेतकों के आधार पर होती है, जिनमें जन्म के समय जीवन का पूर्वानुमान, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) शामिल है.
मानव विकास सूचकांक में नेपाल और पाकिस्तान को छोड़कर भारत बाकी पड़ोसी देशों से पीछे चला गया है. इस सूची में श्रीलंका 73वें स्थान पर है. चीन 79, भूटान 127, बांग्लादेश 129, नेपाल 143 और पाकिस्तान 161वें स्थान पर रहा. वहीं शीर्ष पांच देशों में क्रमश: स्विटजरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया हैं.
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक
मई में विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक की रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें भारत की रैकिंग 142वें स्थान से खिसककर 150वें नंबर पर आ गई थी. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संस्था ने रिपोर्ट जारी की थी. हालांकि, नेपाल को छोड़कर भारत के बाकी पड़ोसी देशों की रैंकिंग में गिरारव दिखाई गई थी. कुल 180 देशों की रैंकिंग में पाकिस्तान 157, श्रीलंका 146, बांग्लादेश 162 और म्यांमार 176वें स्थान पर रहा था. नेपाल की स्थिति बेहतर बताई गई थी, वह 76वें स्थान पर बताया गया था.
वैश्विक भुखमरी सूचकांक
2021 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में 116 देशों को शामिल किया गया था, जिनमें भारत का स्थान 101वां रहा. यह रिपोर्ट पिछले साल अक्टूबर में जारी की गई थी. इस रिपोर्ट में पड़ोसी देश- पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल भारत से आगे बताए गए थे. वहीं, 2020 में वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर रहा था.
लोकतंत्र सूचकांक
ब्रिटेन के इकॉनोमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट ने 2020 के लोकतत्र सूचकांक की वैश्विक रैंकिंग में भारत को 53वें स्थान पर रखा था. वहीं, 2019 में भारत 51वें स्थान पर रहा था. भारत ज्यादातर पड़ोसी देशों के मुकाबले सूची में ऊपर बताया गया था. सूची में श्रीलंका 68, बांग्लादेश 76, भूटान 84 और पाकिस्तान 105वें स्थान पर रहा था. वहीं, शीर्ष पांच देशों में क्रमश: नॉर्वे, आइसलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड और कनाडा शामिल थे. उत्तर कोरिया अंतिम 167वें स्थान पर था. लोकतत्र सूचकांक की रिपोर्ट देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की स्थिति को देखते हुए तैयार की जाती है.