क्या पिछले वित्त वर्ष के दौरान आपने अपने बैंक अकाउंट में कोई ऐसी बड़ी रकम ट्रांसफर की है, जिसके सोर्स के बारे में आप जानकारी नहीं रखते हैं? अगर ऐसा है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस बारे में पता लगा लेता है तो आपको मोटा टैक्स देना पड़ सकता है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 69A के तहत, अगर कोई व्यक्ति पैसे, सोना, ज्वेलरी या अन्य कीमती चीजों का मालिक पाया जाता है और इसका रिकॉर्ड उस व्यक्ति के पास नहीं या वो इसके सोर्स के बारे में जानकारी नहीं दे रहा है तो इसे टैक्सपेयर के इनकम के तौर पर माना जायेगा और उन्हें इसपर टैक्स देना होगा.
अगर इनकम टैक्स एसेस करने वाला अधिकारी आपके किसी संपत्ति से जुड़े सवाल से संतुष्ट नहीं है तो भी उस रकम को इनकम ही माना जाएगा और इसपर टैक्स देय होगा.
क्या ऐसे टैक्स कटौती का नियम
इस तरह के अस्पष्टीकृत रकम ( पर 83.25 फीसदी की उच्च दर से टैक्स लगता है. इस 83.25 फीसदी में 60 फीसदी टैक्स, 25 फीसदी सरचार्ज और 6 फीसदी पेनाल्टी होता है. हालांकि, कैश क्रेडिट को रिटर्न ऑफ इनकम में शामिल किया गया है और इसपर टैक्स दे दिया गया है तो 6 फीसदी की पेनाल्टी नहीं देनी होगी.
इस कैश क्रेडिट पर भी देना होगा मोटा टैक्स
पैसे, गोल्ड और अन्य कीमती वस्तुओं के अलावा अगर टैक्सपेयर के बैंक अकाउंट में कोई कैश क्रेडिट हुआ और वो इसके सोर्स या नेचर का स्पष्टीकरण नहीं देते हैं या टैक्स अथॉरिटी स्पष्टीकारण से संतुष्ट नहीं है तो इस पर भी मोटा टैक्स देना होगा.
इस तरह एंट्री को ‘Unexplained Cash Credit’ यानी अस्पष्टीकृत नकदी क्रेडिट माना जाएगा और इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 68 के तहत इसपर टैक्स देना पड़ेगा.
नोटबंदी के बाद बैंक अकाउंट में डिपॉजिट हुए थे बड़े रकम
8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद को जब केंद्र सरकार ने रातों-रात ही 500 और 1,000 रुपये के कंरसी नोट को बैन कर दिया था, तब उस दौरान बहुत सारे टैक्सपेयर्स ने अपने बैंक अकाउंट बड़े स्तर पर कैश डिपॉजिट किया था. ये सभी रकम इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के स्क्रूटनी में आ गये.
इसके बाद इनकम टैक्स डिपॉर्टमेंट ने टैक्सपेयर्स के लिए एक डील पेश किया कि वो इस तरह के डिसक्लोज्ड इनकम पर टैक्स जमा करके इस मामले को खत्म कर सकते हैं. अगर वो देय टैक्स जमा कर देते हैं तो उन्हें इस कमाई पर कोई सवाल नहीं उठाया जाएगा.