अडानी ग्रुप अपना 20,000 एफपीओ के साथ आगे न बढ़ने का फैसला किया है. अडानी बोर्ड इंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) ने कहा है कि वह अपने फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) को रद्द कर रहा है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक कंपनी ने अपने एक बयान में कहा है कि ‘बाजार के उतार-चढ़ाव एवं मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए वह अपने एफपीओ को वापस ले रहा है और शेयर खरीदने वाले निवेशकों का पैसा लौटाएगा.’ ग्रुप ने कहा है कि उसने अपने निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया है.
बता दें कि गत 27 जनवरी को गौतम अडानी की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज ने 20 हजार करोड़ जुटाने के लिए एफपीओ जारी किया था. कंपनी की ओर से स्टॉक एक्सचेंज को इसकी जानकारी दे दी गई है. इस जानकारी में बताया गया है कि 1 फरवरी को कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक हुई,जिसमें शेलर सेल को वापस लेने का फैसला लिया गया. कंपनी ने कहा है कि वो निवेशकों के पैसे को वापस कर देगी. कंपनी का यह अब तक का सबसे बड़ा फॉलो-ऑप-ऑफर था.
बीएससी के आंकड़ों के अनुसार, अडाणी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के तहत 4.55 करोड़ शेयरों की पेशकश की गई थी, जबकि इसपर 4.62 करोड़ शेयरों के लिए आवेदन मिले थे. गैर संस्थागत निवेशकों के लिए आरक्षित 96.16 लाख शेयरों पर करीब तीन गुना बोलियां मिली थीं. वहीं पात्र संस्थागत खरीदारों के खंड के 1.28 करोड़ शेयरों पर पूर्ण अभिदान मिला था. हालांकि, एफपीओ को लेकर खुदरा निवेशकों और कंपनी के कर्मचारियों की प्रतिक्रिया ठंडी रही थी.
अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के अध्यक्ष गौतम अडाणी ने कहा, ‘पिछले हफ्ते कंपनी के शेयर में काफी उतार चढ़ाव के बावजूद एफपीओ मंगलवार को सफलतापूर्वक बंद हुआ. कंपनी और उसके कारोबार के प्रति आपका भरोसा हमारा विश्वास बढ़ाने वाला है जिसके लिए हम आपके आभारी हैं.’ अडानी ने कहा कि आज कंपनी के शेयर में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव रहा.
उन्होंने कहा, ‘असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर, कंपनी के निदेशक मंडल ने फैसला किया है कि एफपीओ पर आगे बढ़ना नैतिक रूप से ठीक नहीं होगा. निवेशकों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है और उन्हें किसी तरह के संभावित नुकसान से बचाने के लिए निदेशक मंडल ने एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया है.’
‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की पिछले हफ्ते आई रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट आ रही है. गिरावट का यह सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा. पिछले पांच कारोबारी सत्रों में समूहों की कंपनियों का सामूहिक बाजार पूंजीकरण सात लाख करोड़ रुपये घट गया है.