अतीक अहमद हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से स्टेटस रिपोर्ट की मांग की है. साथ ही कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अतीक और उसका भाई अशरफ जब पुलिस हिरासत में थे, तो उन्हें एंबुलेंस में हॉस्पिटल के भीतर क्यों नहीं ले जाया गया और दोनों की सार्वजनिक रूप से परेड क्यों करवाई जा रही थी. बीती 15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की प्रयागराज में लाइव टीवी पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
अतीक-अशरफ हत्याकांड और यूपी में 2017 से हुए 183 एनकाउंटर की जांच की मांग के लिए वकील विशाल तिवारी ने याचिका दायर की है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी याचिका पर जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने 28 अप्रैल को सुनवाई की.
बेंच ने अतीक मर्डर मामले में यूपी सरकार से “विस्तृत हलफनामा” दाखिल करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर पर रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है. अतीक की हत्या से दो दिन पहले एक कथित एनकाउंटर में असद की मौत हुई थी.
इस मामले में यूपी सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने जवाब दिया कि पुलिस कस्टडी में होने के कारण हर दो दिन पर मेडिकल जांच जरूरी थी. रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि जांच में पता चला है कि हमलावर तीन दिन से रेकी कर रहे थे.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में स्वतंत्र जांच की मांग की. इस पर मुकुल रोहतगी ने बताया कि मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया है, सरकार ने इस पर तेजी से काम किया है. इस आयोग में दो रिटायर्ड जज हैं और राज्य के एक पूर्व डीजीपी हैं. मामले की जांच के लिए एक SIT गठित की गई है. हालांकि याचिकाकर्ता ने जांच आयोग पर सवाल उठाया और कहा कि इसमें सरकार की भूमिका भी संदेह के दायरे में है.