नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) देशभर में लागू हो गया है. इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सीएए पूरी तरह से संवैधानिक है और इसे कभी भी वापस नहीं लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि तीन देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान) में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हुए लोगों को हम नागरिकता देंगे. अगर कोई मुस्लिम वैध तरीके से भारत आता है और नागरिकता के लिए आवेदन करता है तो हम उसे भी नागरिकता देंगे. उन्होंने कहा कि अगर कोई (मुस्लिम) अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करता है तो उसे हम नागरिकता नहीं देंगे.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि, सीएए कानून को बीजेपी की सरकार लाई है, नरेंद्र मोदी सरकार लाई है, इसे वापस करना असंभव है, हम पूरे देश को जागरूक करेंगे और हम पूरे देश को जागरुक करेंगे, जिससे वापस लेने वाले लोगों को कोई स्थान ही न मिले. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 में दो अपवाद रखे गए हैं. एक रिजनेबल क्लासिफिकेशन का अपवाद है. दूसरा कानून के उद्देश्यों के साथ लॉजिकल संबंध होना चाहिए, तो ये अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है.
इसमें रीजनेबल क्लासिफिकेशन स्पष्ट है कि इसमें जिन लोगों पर भारत के पुराने हिस्सों में विभाजन के कारण देश से कटे हैं- अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश. जिन लोगों पर धार्मिक प्रताड़ना होने के कारण भारत की शरण में आए हैं. रिजनेबल क्लासिफिकेशन इसलिए ये पूरी तरह से संवैधानिक है.
अंतरराष्ट्रीय दवाब या लोगों के सड़कों पर उतर आने के बाद भी सीएए को वापस नहीं लेने की बात कही. उन्होंने कहा कि सीएए का कानून कभी वापस नहीं जाएगा. भारत की नागरिकता सुनिश्चित करना भारत का विषय है भारता की सम्प्रुभता का निर्णय है इसके साथ हम कोई समझौता नहीं कर सकते. शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने 2019 में अपने घोषणा पत्र में कहा है कि हम सीएए लेकर आएंगे और पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के शरणार्थियों को नागरिकता देंगे. बीजेपी का एजेंडा स्पष्ट है और इसके आधार पर हमें बहुमत मिला है.
गृह मंत्री ने कहा कि 2020 में ही ये बिल संसद के दोनों सदनों में पारित हो गया. लेकिन कोविड की वजह से इसमें देरी हुई. उन्होंने कहा कि सीएए बीजेपी के लिए राजनीति का मुद्दा नहीं है. बीजेपी और हमारे नेता नरेंद्र मोदी के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए करोड़ों शरणार्थियों को उनका अधिकार देने का मुद्दा है, उनकी वेदना को मुक्ति दिलाने का मुद्दा और उनकी तीन पीढ़ी को न्याय देने का मुद्दा है जो कांग्रेस ने कभी भी नहीं किया.