नेपाल सरकार द्वारा अग्निपथ स्कीम को लेकर संशय की स्थिति पर अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है. भारत ने गुरुवार को कहा कि भारतीय सेना लंबे समय से नेपाल से गोरखा सैनिकों को शामिल करती रही है और नई शुरू की गई अग्निपथ भर्ती योजना के तहत यह प्रक्रिया जारी रहेगी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कहा जा रहा था कि नेपाल ने भारत से अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती निलंबित करने का अनुरोध किया है.
बागची ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, ‘हम लंबे समय से भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की भर्ती कर रहे हैं और हम अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की भर्ती जारी रखना चाहते हैं.’
भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में 43 बटालियन हैं और इनमें भारतीय सैनिकों के साथ-साथ नेपाल से भर्ती हुए सैनिक भी शामिल हैं. नेपाल के युवक लंबे समय से भारतीय सेना में भर्ती होते रहे हैं.
1947 में नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था जिसमें ब्रिटिश और भारतीय सेनाओं में नेपाली युवकों को भर्ती करने का प्रावधान किया गया था.
14 जून को घोषित अग्निपथ योजना में साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु के बीच के युवाओं को केवल चार साल के लिए भर्ती करने का प्रावधान है, जिसमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा. बाद में, सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को 23 वर्ष तक बढ़ा दिया.
नई योजना के तहत भर्ती किए जाने वाले कर्मियों को ‘अग्निवर’ के रूप में जाना जाएगा. इस योजना के तहत तीनों सेनाएं इस साल 46,000 सैनिकों की भर्ती करने की योजना बना रही हैं. इस योजना का एक प्रमुख उद्देश्य सैन्य कर्मियों की औसत आयु को कम करना है.