मणिपुर में अब तक बीजेपी ने नहीं लिया सीएम पर फैसला, क्या लागू हो सकता है राष्ट्रपति शासन!

एन बीरेन सिंह को इस्तीफा दिए हुए आज 5वां दिन है. ऐसे में एक सवाल अब भी बरकरार है कि सूबे का नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा? मणिपुर दंगे की वीभत्स तस्वीरें दुनिया ने देखी. महिलाओं के साथ खुलेआम चीरहरण किया गया. डंके की चोट पर मानवता का कत्ल किया गया. ऐसे में अब इस राज्य में राजनीतिक उठापटक का दौर जारी है. लंबे वक्त से विपक्षी दलों द्वारा ये मांग की जा रही थी कि सीएम एन बीरेन इस्तीफा दें और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए.

अब बीरेन ने इस्तीफा दे दिया है, हालांकि भाजपा लगातार ये दावा कर रही है कि राज्य में किसी तरह का राजनीतिक संकट नहीं है. जल्द ही नए नेता का चलन होगा. मगर विपक्ष ये मांग कर रही है कि इसमें इतनी देरी क्यों हो रही है, राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए.

मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से एन. बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के चार दिन बाद भी राज्य में राजनीतिक स्थिति अनिश्चित बनी हुई है और सत्तारूढ़ भाजपा ने अब तक नए नेता के बारे में फैसला नहीं किया है. इस बीच, राज्य के वन मंत्री टी. बिश्वजीत बुधवार शाम को इंफाल से असम की राजधानी गुवाहाटी के लिए रवाना हुए और पड़ोसी राज्य की उनकी यात्रा का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और पार्टी विधायकों के बीच कई दौर की चर्चा के बावजूद गतिरोध बना हुआ है, कुछ विधायकों ने सुझाव दिया है कि अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व ले सकता है. पात्रा पिछले दो दिन में दो बार राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर चुके हैं. मंगलवार को पात्रा ने पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष ए शारदा देवी के साथ भल्ला से बातचीत की और बुधवार को उन्होंने फिर से राज्यपाल से मुलाकात की. आज बृहस्पतिवार हो चुका है, लेकिन अब तक नए मुख्यमंत्री को लेकर कोई अपडेट नहीं आया है.

पात्रा ने स्थिति पर चर्चा करने के लिए राज्य के उपभोक्ता मामलों के मंत्री एल. सुसिंड्रो और विधायक करम श्याम समेत भाजपा विधायकों के साथ भी बैठक की. पत्रकारों से बात करते हुए श्याम ने कहा कि सिंह के पद छोड़ने के फैसले के बाद कोई संवैधानिक संकट नहीं है और केंद्रीय नेतृत्व विधायकों की मदद से मुद्दों को सुलझाएगा.

राज्य विधानसभा के दो सत्रों के बीच निर्धारित अधिकतम छह महीने की अवधि समाप्त होने पर एक सवाल के जवाब में श्याम ने कहा, ‘देखते हैं क्या होता है.’ यह पूछे जाने पर कि क्या नए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाएगी, श्याम ने मुस्कुराते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. इस बीच, कांग्रेस विधायक थोकचोम लोकेश्वर ने पात्रा के राज्य के दौरे पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या उनका इरादा नेतृत्व संकट को हल करना है.

कांग्रेस विधायक ने कहा कि पात्रा को भाजपा विधायकों के साथ चर्चा करके नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति के लिए पहल करनी चाहिए थी. पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘उनका दौरा यह सुनिश्चित करने के लिए है कि विधानसभा सत्र न हो और राज्य के मुद्दे दरकिनार रहें. अब तक उन्होंने कोई टिप्पणी भी नहीं की है.’ इस बीच, विशेषज्ञों ने कहा है कि अब तक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किए जाने से भाजपा शासित मणिपुर संवैधानिक संकट की ओर बढ़ सकता है.

उन्होंने कहा कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है. राज्यपाल ने 10 फरवरी से शुरू होने वाले मणिपुर विधानसभा सत्र को पहले ही अमान्य घोषित कर दिया है. राज्य में विधानसभा का अंतिम सत्र 12 अगस्त, 2024 को संपन्न हुआ था.

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