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53 साल के हुए राहुल गांधी, कुछ ऐसा रहा सियासी सफर

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राहुल गांधी

कांग्रेस पार्टी के बड़े चेहरों में से एक राहुल गांधी का आज जन्मदिन है. साल 1970 में आज ही के दिन राहुल गांधी का जन्म हुआ था. इन दिनों राहुल गाधी लगातार चर्चा में बने हुए हैं. चाहे उनका बयान हो या फिर संसद की सदस्यता गंवाने का मामला. देश की राजनीति के केंद्र में वह लगातार बने हुए रहते हैं. बता दें कि 4 बार सांसद बनने के बाद हाल ही में उन्हें अपनी संसद सदस्यता गंवानी पड़ी थी.

राहुल गांधी सोमवार को 53 साल के हो गए. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनका अलग अंदाज भी देखने को मिला था. उनकी पार्टी उन्हें देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में देख रही है. लेकिन इन तमाम बातों से इतर कभी वह पंजाब में ट्रक ड्राइवर के साथ बातचीत करते नजर आते हैं तो कभी दिल्ली में ‘मोहब्बत का शरबत’ पीते नजर आते हैं.

राहुल गांधी के सियासी सफर पर एक नजर
राहुल गांधी ने पहली बार साल 2004 में लोकसभा का चुनाव अपने पिता राजीव गांधी की पारंपरिक सीट अमेठी से लड़ा था. यहां इस चुनाव में राहुल गांधी ने एक लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. इसके बाद साल 2007 में राहुल गांधी को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी गई. उन्हें कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया. इसके साथ ही उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस और कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई का प्रभारी महासचिव भी बनाया गया.

साल 2009 के आम चुनाव में राहुल गांधी अमेठी से ही दूसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़े. इस चुनाव में वह भारी अंतर से जीतकर संसद पहुंचे. सबसे बड़ी बात यह है कि साल 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 21 लोकसभा सीटें जीती थीं. पार्टी ने इसका श्रेय राहुल गांधी को दिया. 2009 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यूपीए ने 2009 में दोबारा केंद्र में सरकार बनाई. साथ ही राहुल गांधी को मानव संसाधन विकास की स्थायी समिति में सदस्य नियुक्त किया गया.

भट्टा पारसौल आंदोलन में दिखा था राहुल का अलग अंदाज
साल 2011 में उत्तर प्रदेश में भट्टा पारसौल आंदोलन हो रहा था. उस समय यूपी में मायावती और केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी. राजमार्ग परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण में अधिक मुआवजे की मांग को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे थे. राहुल गांधी ने आंदोलन कर रहे लोगों की मांग को समर्थन दिया और खुद भी वहां पहुंच गए. इस दौरान यूपी पुलिस ने राहुल गांधी को गिरफ्तार भी किया था. हालांकि कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल गांधी ने ऐसा कर के बड़ी गलती की थी.

तीसरी बार अमेठी से ही बने सांसद
खैर इसके बाद साल 2013 में राहुल गांधी को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया. इसके एक साल बाद 2014 में लोकसभा चुनाव हुए. इस बार राहुल गांधी को टक्कर देने के लिए बीजेपी ने स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा. वहीं उस समय नई-नई पार्टी आम आदमी पार्टी ने कुमार विश्वास को चुनाव लड़ने भेजा. हालांकि राहुल गांधी चुनाव जीतने में सफल रहे और लगातार तीसरी बार अमेठी से सांसद बने.

अमेठी से हार का भी किया सामना
साल 2018 में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया. इसके एक साल बाद 2019 में आम चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से हार गई. इसके बाद पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. 2019 के आम चुनाव में अमेठी में एक बार फिर राहुल गांधी के सामने बीजेपी ने स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस बार राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ा था. यहां से वह जीतने में सफल रहे.

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