एक नज़र इधर भी

आंदोलन के 80 साल: देश को आजादी दिलाने और अंग्रेजों को भगाने में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ ने जगाई थी अलख

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देश की आजादी को लेकर आज बहुत ही ऐतिहासिक दिन है. भारत जब अंग्रेजों से गुलामी में जकड़ा हुआ था उस दौरान स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए कई आंदोलनों का सहारा लिया, जिसमें कुछ उग्र भी आंदोलन किए गए थे. इसके बावजूद अंग्रेजों पर कोई खास असर नहीं हुआ.

उसके बाद 8 अगस्त साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन से देश को आजादी की नई राह मिल गई थी. अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की गई थी. इससे पहले ब्रिटेन ने बिना किसी सलाह के भारत को दूसरे विश्व युद्ध में झोंक दिया था.

इससे कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच टकराव हो गया. इसे खत्म करने के लिए मार्च 1942 में ब्रिटिश संसद के मेंबर सर स्टेफर्ड क्रिप्स को भारत भेजा गया. इसे क्रिप्स मिशन कहा जाता है. इस मिशन के कई प्रस्ताव भारतीयों को मंजूर नहीं थे. इसकी नाकामी के बाद कांग्रेस कमेटी ने 8 अगस्त, 1942 को मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में बैठक बुलाई. इसी में प्रस्ताव पास किया गया कि ब्रिटिश शासन को भारत से उखाड़ फेंका जाए.

इस आंदोलन से भारत को आजादी भले न मिली हो, लेकिन ब्रिटिश सरकार को इस बारे में सोचने पर मजबूर होना पड़ा. इस आंदोलन से रेलवे स्‍टेशनों, दूरभाष कार्यालयों, सरकारी भवनों और अन्‍य स्‍थानों तथा उप निवेश राज के संस्‍थानों पर बड़े स्‍तर पर हिंसा शुरू हो गई. इसमें तोड़फोड़ की ढेर सारी घटनाएं हुईं और सरकार ने हिंसा की इन गतिविधियों के लिए गांधी जी को उत्तरदायी ठहराया और आंदोलन के सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया.

इस आंदोलन को अपने उद्देश्य में आशिंक सफलता ही मिली थी लेकिन इस आंदोलन ने 1943 के अंत तक भारत को संगठित कर दिया. आंदोलन के अंत में, ब्रिटिश सरकार ने संकेत दे दिया था कि सत्ता का हस्तांतरण कर उसे भारतीयों के हाथ में सौंप दिया जाएगा.

इस समय गांधी जी ने आंदोलन को बंद कर दिया जिससे कांग्रेसी नेताओं सहित लगभग 1 लाख राजनैतिक बंदियों को रिहा कर दिया गया. अगस्त क्रांति साल 1857 के बाद देश की आजादी के लिए चलाए जाने वाले सभी आंदोलनों में 1942 का यह आंदेालन सबसे विशाल और सबसे तीव्र आंदोलन साबित हुआ.

जिसके कारण भारत में ब्रिटिश राज की नींव पूरी तरह से हिल गई थी. आंदोलन का ऐलान करते वक्त गांधी जी ने कहा था मैंने कांग्रेस को बाजी पर लगा दिया. यह जो लड़ाई छिड़ रही है वह एक सामूहिक लड़ाई है.

शंभू नाथ गौतम

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