ग्रेटर नोएडा| एसटीएफ गौतमबुद्ध नगर की टीम ने फर्जी दस्तावेज के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनवाकर साइबर फ्रॉड करने वाले एक तिब्बती नागरिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है. आरोपी भारत में अपना नाम बदलकर रह रहा था. आरोपी के भारतीय पासपोर्ट के जरिए विदेशों में आता जाता था. वह साइबर अपराधियों के साथ मिलकर करोड़ों की साइबर ठगी भी कर चुका है.
तिब्बती नागरिक ने फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर भारतीय नाम चंद्रा ठाकुर रखा और इसी नाम से पासपोर्ट भी बनवाया था. एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, 11 सितंबर को एसटीएफ ने आरोपी छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर उर्फ तंजीम को दिल्ली के द्वारका में उसके फ्लैट से गिरफ्तार किया है.
एसटीएफ के मुताबिक, उसके पास से पासपोर्ट, एक फर्जी वोटर आईडी कार्ड, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड, दो एटीएम कार्ड, एक कंबोडिया का सिम कार्ड, दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं. एसटीएफ टीम ने बताया है कि कुछ दिनों से एसटीएफ को विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता के दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट आदि बनाने की सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं.
एसटीएफ ने द्वारका में रह रहे चंद्रा ठाकुर को पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस बुलाया था. गहन पूछताछ में आरोपी के खिलाफ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने के सबूत मिले. आरोपी चंद्रा ठाकुर के तिब्बती नागरिक होने की पहचान को छिपाते हुए पश्चिमी बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार करके फर्जी पासपोर्ट बनाने के साक्ष्य भी एसटीएफ के हाथ लगे. इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
एसटीएफ के मुताबिक, वह 14 साल की उम्र में भागकर तिब्बत आ गया. जहां से वह 50-60 लोगों के ग्रुप के साथ नेपाल आया और लगभग 3 माह काठमांडू के रिफ्यूजी सेंटर में रहा. वहां से दिल्ली के बुद्ध विहार रिफ्यूजी सेंटर आया. करीब एक माह बाद उसने हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू की और लगभग 3 वर्ष पढ़ाई करने के बाद दिल्ली भाग आया था.
उसके बाद धर्मशाला एवं दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में चार साल तक काम किया. आरोपी साल 2008 में मजनू का टीला (दिल्ली) में आकर रहने लगा. वह नेपाल से चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान वहां से लाकर चोरी छिपे दिल्ली के मार्केट में बेचने लगा. धीरे-धीरे इसे चाइनीज भाषा का भी अच्छा ज्ञान हो गया. साल 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद गंगटोक (सिक्किम) आ गया और एक होटल में कुक का काम करने लगा.
यहीं पर इसकी मुलाकात दार्जिलिंग में होटल चलाने वाले एक लड़के से हो गई. फिर वह दार्जिलिंग आकर रहने लगा. दार्जिलिंग में रहते हुए उसने चंद्रा ठाकुर के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड बनवाया. इसके बाद उसने चंद्र ठाकुर के नाम से साल 2013 में भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया. इसके बाद उसने चीन, मलेशिया, थाईलैंड और दुबई जैसे कई देशों की यात्राएं की.
आरोपी की साल 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में चीन के रहने वाले ली से मुलाकात हुई थी. ली ने उसे नेट बैंकिंग समेत भारतीय बैंक के करंट अकाउंट को उपलब्ध कराने को कहा, जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेडिंग ऐप में किया गया.
आरोपी ने एक भारतीय बैंक अकाउंट, चाइनीज को उपलब्ध कराया था. उस अकाउंट में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होने के बाद खाता धारक ने दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने में 9 दिसंबर 2021 को मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में तिब्बती नागरिक जेल गया था. उसने करीब नौ महीने जेल में बिताए.
जेल से छूटने के बाद छीन्जों थारचिंन की मुलाकात द्वारका के रहने वाले नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई, जो पहले से ही चाइनीज के संपर्क में था, जो उनको पैसा लेकर भारतीय अकाउंट उपलब्ध कराता था. आरोपी छीन्जों थारचिंन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चाइनीज के संपर्क में आ गया और भारतीय व्यक्तियों के एंव फर्मों के बैंक खाते सक्रिय करके अपने परिचित विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराने लगा. जिसका प्रयोग वे लोग साइबर क्राइम में कर रहे थे. पूछताछ में लगभग 26 भारतीय बैंक अकाउंट आरोपी से जुड़े हुए सामने आए हैं जिनके संबंध में गहन छानबीन की जा रही है.