यूपी पुलिस की कस्टडी में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के 3 सवाल सरकार की टेंशन बढ़ा सकती है. शुक्रवार को वकील विशाल तिवारी की याचिका पर जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई की.
कोर्ट ने यूपी सरकार से अतीक और अशरफ की हत्या पर एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. यूपी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि रिटायर जज की निगरानी में जांच की जा रही है, जिस पर बेंच ने कहा कि हम इसे रिकॉर्ड में ले रहे हैं.
बेंच ने कहा कि हलफनामा देखने के बाद हम तय करेंगे कि आगे क्या होगा? यूपी सरकार 3 हफ्ते के भीतर जांच की स्टेटस रिपोर्ट के साथ एक हलफनामा कोर्ट में दाखिल करेगी.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
मुकुल रोहतगी- हम सभी ने टेलीविजन पर हत्याएं देखीं. हत्यारे समाचार फोटोग्राफरों के भेष में आए थे.
जस्टिस भट्ट- उन्हें इसकी जानकारी कैसे मिली कि अतीक-अशरफ को अस्पताल ले जाया जा रहा है?
मुकुल रोहतगी- हिरासत में लिए गए आरोपी को हर 2 दिन पर मेडिकल जांच के लिए ले जाया जाता है. यह कोर्ट का आदेश है. हमलावर पहले भी 3 दिनों से साथ जा रहे थे.
जस्टिस दत्ता- दोनों आरोपियों को सीधे एंबुलेंस में अस्पताल के गेट पर क्यों नहीं ले जाया गया? उनकी परेड क्यों कराई गई?
मुकुल रोहतगी- अस्पताल से थाने की दूरी कम थी, इसलिए ऐसा किया गया. यह व्यक्ति और उसका पूरा परिवार पिछले 30 वर्षों से जघन्य अपराधों में उलझा हुआ है.
यह संभव है कि दोनों को उन्हीं लोगों ने मारा हो जिनके क्रोध का उन्होंने सामना किया था. ये एक एंगल हो सकता है जिस पर हम गौर कर रहे हैं.
जस्टिस भट्ट- याचिकाकर्ता का कहना है कि यूपी में यह पैटर्न बन गया है.
मुकुल रोहतगी- न्यायिक जांच कराई जा रही है. रिपोर्ट हम सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे.
सुप्रीम कोर्ट- पुलिस कस्टडी में हत्या से जुड़े जो भी मामले हैं. आप रखिए. विकास दुबे एनकाउंटर में बीएस चौहान की रिपोर्ट भी पेश कीजिए. फिर हम देखेंगे.
जांच के बीच सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बढ़ा सकती है परेशानी, 4 प्वॉइंट्स…
1. अतीक-अशरफ जैसे अपराधियों के परेड कराने पर
पुलिस कई बार छोटे-मोटे माफियाओं को पकड़कर सड़कों पर परेड कराती है, जिससे उसका खौफ इलाके से खत्म हो और माफिया अपना वर्चस्व न बना पाए.
अतीक अहमद पर 102 केस और अशरफ पर 60 मुकदमा दर्ज था. दोनों अपनी हत्या की आशंका भी जता चुका था. ऐसे में दोनों को कस्टडी में परेड कराने को लेकर कोर्ट ने सवाल पूछा है.
सुप्रीम कोर्ट के वकील ध्रुव गुप्ता कहते हैं- सीआरपीसी या पुलिस मैन्युअल में पहचान परेड का जिक्र है, लेकिन ये जो सड़कों पर परेड कराया जाता है उसका कहीं जिक्र नहीं है. पुलिस अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए कई बार ऐसा करती है.
गुप्ता कहते हैं- परेड पर अब सरकार को जवाब दाखिल करना है. जवाब आने के बाद ही पता चलेगा कि इतने गंभीर आरोपों के आरोपियों का पुलिस परेड क्यों करा रही थी. अगर यहां पुलिस की लापरवाही साबित होती है तो एक्शन भी लिया जा सकता है.
2. एंबुलेंस से अतीक-अशरफ को सीधे अस्पताल नहीं ले जाने पर
धूमनगंज थाने से कॉल्विन अस्पताल की दूरी करीब 5 किमी है. हत्या की रात पुलिस धूमनगंज से ही अतीक और अशरफ को अस्पताल ले जा रही थी. सुरक्षा की जिम्मेदारी शाहगंज थाने की पुलिस को सौंपी गई थी. कोर्ट ने यूपी सरकार से सवाल किया है कि दोनों आरोपियों को सीधे एंबुलेंस के जरिए अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया?
सुप्रीम कोर्ट में अभी यूपी सरकार ने दूरी का हवाला दिया है. कोर्ट में सरकार को इस सवाल का जवाब भी देना है. हालांकि, प्रयागराज पुलिस ने सुरक्षा में लापरवाही के आरोप में 5 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड भी किया है. कोर्ट में इस सवाल का जवाब देना भी यूपी पुलिस की मुश्किलों को बढ़ा सकता है.
3. कैसे मिली सूचना सवाल का मतलब प्री-प्लान मर्डर तो नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि अतीक-अशरफ के अस्पताल में जाने की जानकारी हमलावरों को कैसे मिली? यूपी सरकार ने फिलहाल इस सवाल के जवाब में कहा है कि तीनों फोटोग्राफर के भेष में आए थे और पहले भी काफिले के पीछे चल चुके थे.
ध्रुव गुप्ता के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल इसलिए पूछा है कि पुलिस की ऑथोरिटी तय की जा सके. इस सवाल के जरिए कोर्ट यह जानना चाह रही है कि क्या पुलिस के अधिकारी भी हत्या में शामिल थे? क्या यह हत्या प्री-प्लान था?
याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कोर्ट में कहा है कि यूपी में पुलिस कस्टडी में हत्या का एक पैटर्न है. ऐसे में कोर्ट का यह सवाल यूपी पुलिस की मुश्किलें बढ़ा सकती है.
4. हत्या क्यों, यूपी सरकार की थ्योरी पर सवाल?
कोर्ट में यूपी सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा है कि अतीक और अशरफ 30 सालों से जुर्म की दुनिया में थे. हम उस थ्योरी पर गौर कर रहे हैं कि क्या अतीक के जुर्म से तंग आकर क्रोध में तो हत्या नहीं की गई है?
यूपी सरकार शुरू में भी यही दलील दे रही थी. हालांकि, पुलिस एफआईआर की कहानी कुछ और ही है. पुलिस ने अपने एफआईआर में कहा है कि तीनों ने पूछताछ में बताया- हत्या का मकसद नाम कमाना था.
पुलिस की दोनों थ्योरी पर सवाल उठ रहे हैं. तीनों आरोपी जान-पहचान के नहीं है और ना ही तीनों का पहले कोई कनेक्शन रहा है. ऐसे में तीनों एक जैसा प्लान कैसे कर सकते हैं?
पुलिस ने जो तीनों आरोपियों की पहचान बताई है, उसके मुताबिक बांदा निवासी 22 वर्षीय लवलेश तिवारी, हमीरपुर निवासी 23 वर्षीय मोहित उर्फ सन्नी और कासगंज निवासी 18 वर्षीय अरुण मौर्य ने वारदात को अंजाम दिया है.
कोर्ट में यूपी सरकार के लिए इस सवाल का जवाब देना मुश्किलों से भरा हो सकता है. हालांकि, अभी एसटीएफ तीनों से पूछताछ कर रही है.
अतीक और अशरफ की हत्या के बाद अब तक क्या-क्या हुआ?
15 अप्रैल को अतीक और उसके भाई को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद से उसके गुर्गे और साम्राज्य पर एक्शन जारी है. हालांकि, अतीक की हत्या के खिलाफ कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई. आइए जानते हैं कि दोनों की हत्या के बाद से क्या-क्या हुआ?
– अतीक-अहमद हत्या के आरोपियों को यूपी पुलिस ने कस्टडी में लिया. तीनों के लगातार बयान बदलने से पुलिस अब तक किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है.
– यूपी पुलिस ने अतीक अहमद के चकिया स्थित कार्यालय पर जांच के लिए पहुंची. यहां पर पुलिस को खून का धब्बा मिला, जिसके बाद फॉरेंसिक जांच कराई गई.
– यूपी पुलिस ने अतीक की पत्नी शाइस्ता को ढूंढने के लिए कई टीमें लगा रखी है, लेकिन बीच में ही अतीक के करीबियों के 800 से ज्यादा सिम कार्ड अचानक बंद हो गए.
– ईडी ने अतीक अहमद के सीए को तलब किया है. माफिया परिवार की 50 से ज्यादा बैंक खातों की डिटेल्स ईडी के हाथ लगी है, जिससे परिवार वाले मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे थे.
– यूपी पुलिस को उमेश पाल हत्याकांड में एक अहम सबूत मिला. इसके मुताबिक अतीक के वकील सौलत हनीफ ने हत्या से कुछ दिन पहले असद को उमेश पाल की तस्वीरें भेजी थी. पुलिस ने वकील को भी आरोपी बनाया है.
– अतीक अहमद के बहनोई यूपी के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर थे. सरकार ने डॉ. अखलाक सहित को निलंबित कर दिया है. अनैतिक कार्य में लिप्त पाए जाने के आरोप में यह कार्रवाई की गई है.
अशरफ का चिट्ठी पहुंचेगी सुप्रीम कोर्ट?
यूपी के सियासी गलियारों में अतीक-अशरफ की हत्या के बाद एक सवाल सबसे ज्यादा सुर्खियों में है. दरअसल, हत्या से पहले अशरफ ने कहा था कि यूपी के एक अधिकारी उन्हें निपटा देने की धमकी दे रहे हैं.
अशरफ ने आगे कहा था कि मेरी अगर हत्या होती है तो एक बंद लिफाफा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्री को मिलेगा. उसमें उस अधिकारी का नाम होगा, जिसने मुझे हत्या की धमकी दी है.
अतीक-अशरफ की हत्या के बाद उनके वकील विजय मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जल्द ही यह लिफाफा हर जगह पहुंचेगा. हमें नाम नहीं बताया गया है, इसलिए मैं नाम नहीं बता पाऊंगा.
हाईकोर्ट से 3 किमी की दूरी पर कर दी गई थी हत्या
15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को 3 हमलावरों ने कॉल्विन हॉस्पिटल के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी. हमलावरों ने हत्या के लिए करीब 9 राउंड की फायरिंग की थी. अतीक के सिर और छाती में गोली मारी गई थी.
वहीं उसके भाई अशरफ के गर्दन, छाती और हाथ पर गोली मारी गई थी. दोनों की मौत मौका-ए-वारदात पर ही हो गई थी. अतीक-अशरफ की हत्या के बाद तीनों हमलावरों ने धार्मिक नारे भी लगाए और पुलिस को सरेंडर कर दिया.
अतीक-अशरफ हत्या मामले में ये तीन सवाल बढ़ा सकते है यूपी पुलिस की टेंशन
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