लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए 26 अप्रैल को मतदान होने जा रहा है. इस चरण में यूपी की 8 सीटों पर वोटिंग होगी. 2019 लोकसभा चुनाव में अमरोहा के अलावा सभी सात सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी.
पिछले चुनाव में अमरोहा सीट बसपा के खाते में गई थी. वहीं चार सीटों पर बहुजन समाजवादी पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी. यानी इस लोकसभा चुनाव में यहां बसपा के लिए अच्छा मौका है.
दूसरे चरण के चुनाव में बीजेपी के लिए इन सीटों पर पिछली बार की तरह ही जीत हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती होगी. जबकि सपा-कांग्रेस गठबंधन के पास खोने के लिए कुछ नहीं है और पाने के लिए पूरा आसमान है.
ऐसे में उन 8 सीटों के बारे में जानते हैं जिससे तय हो जाएगा यूपी में किसकी चल रही है लहर?
मेरठ: राम के नाम की परीक्षा
मेरठ में इस बार बीजेपी ने तीन बार से सांसद रहे राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर उनकी जगह रामायण धारावाहिक में राम के किरदार निभाने वाले एक्टर अरुण गोविल को चुनावी मैदान में उतारा है. चुनाव प्रचार के दौरान अरुण शुरुआत में तो राम के नाम पर वोट मांग रहे थे लेकिन प्रचार के अंतिम समय में वह जाति की दुहाई देते दिखे.
वहीं सपा ने मेरठ सीट पर पहले दलित, फिर गुर्जर और फिर वापस दलित समाज से ताल्लुक रखने वाली पूर्व महापौर सुनीता वर्मा को रणभूमी में उतारकर मुस्लिम-दलित का समीकरण बनाने की कोशिश की है. जबकि बसपा की तरफ इस सीट पर देवव्रत त्यागी को मैदान में उतारा गया है. देवव्रत के जरिए बसपा ने परंपरागत वोटबैंक के साथ त्यागी समाज के वोटर्स को साधने की भी कोशिश की है.
इस क्षेत्र में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का विस्तार को प्रमुख मुद्दा बनाया है. इसके अलावा इस चुनाव में गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग, मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना भी प्रमुख मुद्दे थे.
अमरोहा: इस सीट का परिणाम तय कर सकते हैं मुसलमान वोटर्स
इस सीट पर दूसरे तरण में कुंवर दानिश अली, डॉ. मुजाहिद हुसैन और कंवर सिंह तंवर के बीच मुकाबला होगा. कुंवर दानिश अली कांग्रेस की तरफ से मैदान में हैं. दानिश इसी सीट पर बसपा से सांसद भी रह चुके हैं.
बहुजन समाज पार्टी ने यहां से डॉ. मुजाहिद हुसैन को मैदान में उतारा है, तो भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 2019 के चुनाव हारने वाले गुर्जर बिरादरी के पूर्व सांसद कंवर सिंह तंवर को एक बार फिर टिकट दिया गया है.
इस सीट बीजेपी ने जहां गुर्जर, जाट, सैनी सहित अन्य जातियों को लामबंद करने की कोशिश की गई है. तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी दानिश अली इतिहास दोहराने के फिराक में हैं. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अपने परंपरागत वोटबैंक के साथ यहां के मुस्लिमों वोटर्स को भी साधने की कोशिश की है.
चुनाव में अमरोहा सीट का प्रमुख मुद्दा आम बागवानों को एक्सपोर्ट की सुविधा की दरकार और प्रदूषण है.
गौतमबुद्धनगर: उलझे हैं जातीय समीकरण
नोएडा सीट पर बीजेपी ने दो बार से सांसद रहे ब्राह्मण बिरादरी के डॉ. महेश शर्मा को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि कुछ इलाके में क्षत्रिय समाज के लोगों ने बीजेपी को लेकर नाराजगी जताई है.
सपा ने यहां से गुर्जर समाज के डॉ. महेंद्र नागर को उतारा है. उन्हें उम्मीद है कि मुस्लिम वोटर के साथ ही गुर्जरों का वोट भी मिल जाएगा. जबकि बसपा ने क्षत्रिय समाज पूर्व विधायक राजेंद्र सोलंकी को टिकट दिया है.
बसपा प्रमुख मायावती ने खुद गुर्जर बहुल इलाके में जनसभा कर इस बात की घोषणा कर चुकी हैं कि उन्होंने बीजेपी को रोकने के लिए क्षत्रिय उम्मीदवार उतारा है.
इस सीट के प्रमुख मुद्दों में जमीन अधिग्रहण का मुआवजा मिलने में देरी, उद्योगों से निकलने वाले कचरे के लिए डंपिंग ग्राउंड शामिल है.
अलीगढ़: यहां की टक्कर होगी दिलचस्प
बीजेपी ने अलीगढ़ में दो बार से सांसद सतीश गौतम पर दांव लगाया है. जबकि समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से आए जाट समाज के पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह को मैदान में उतारकर जाट बिरादरी को जोड़ने की कोशिश की है और साथ ही मुस्लिमों की एकजुटता का सहारा भी है. वहीं बसपा ने यहां से ब्राह्मण समाज के हितेंद्र कुमार उपाध्याय को उम्मीदवार बनाया है.
इस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे शहर की टूटी सड़कें, रोजगार के साधन न होना है.
गाजियाबाद में भी मुकाबला दिलचस्प
बीजेपी ने इस सीट पर वैश्य समाज के अतुल गर्ग पर दांव लगाया है. अतुल को यह टिकट पिछले दो बार के सांसद वीके सिंह की जगह मिली है. पिछले चुनाव में वीके सिंह ने यहां रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी. इस सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक जनसभा कर रिकॉर्ड बढ़ाने का आह्वान कर चुके हैं.
वहीं कांग्रेस की तरफ से यहां डॉली शर्मा को मौका दिया है. कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे उन्हें मुस्लिम व ब्राह्मणों के वोट मिलेंगे जबकि बसपा ने क्षत्रिय समाज के नंद किशोर पुंडीर पर दांव लगाकर चुनाव को रोचक बना दिया है.
इस सीट के प्रमुख मुद्दों में शहर में जाम, प्रदूषण, रोजगार शामिल है.
मथुरा : प्रवासी बनाम ब्रजवासी
बीजेपी ने यहां से दो बार के सांसद हेमामालिनी को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने मुकेश धनगर को टिकट देकर उम्मीदवार बनाया है. मुकेश ने ही प्रवासी बनाम ब्रजवासी का नारा दिया है.
बसपा की बात करें तो इस पार्टी ने यहां से भारतीय राजस्व सेवा से 2004 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले जाट समाज के सुरेश सिंह को मैदान में उतारा है. इससे पार्टी को उम्मीद है कि जाट वोटर्स का समर्थन उन्हें मिल सकता है.
बुलंदशहर : त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
इस सीट पर बीजेपी ने भोला सिंह पर फिर दांव लगाया है वह दो बार के सांसद भी रह चुके हैं. उन्हें उम्मीद है कि बीजेपी को इस बार उनके परंपरागत वोटर के अलावा लोध बिरादरी का सहारा मिलेगा.
वहीं कांग्रेस ने शिवराम वाल्मिकी को टिकट दिया है. कांग्रेस को उम्मीद है कि उन्हें अल्पसंख्यक और पिछड़ी जातियों के साथ ही दलित मतदाताओं का वोट मिलेगा.
बसपा ने इस सीट से गिरीश चंद्र जाटव पर दांव लगाकर यहां के दलित वोटरों को अपने पाले में करने की कोशिश की है. ऐसे में इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है. इस सीट के प्रमुख मुद्दों में कई फैक्ट्रियों के बंद होने का मुद्दा, रेल मार्ग का सीधे जुड़ाव न होना, छुट्टा पशु शामिल है.
बागपत: लड़ाई कोई मोर्चों पर
इस सीट पर गठबंधन के तहत रालोद से डॉ. राजकुमार सांगवान मैदान में उतरे हैं. जबकि समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा को टिकट देकर ब्राह्मणों वोटरों को साधने की कोशिश की है. बसपा ने इस सीट के गुर्जर वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए प्रवीण बैंसला को उम्मीदवार बनाया है.
साभार- ABP NEWS