महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में सोमवार को छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के मामले में ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. वहीं 35 फुट ऊंची प्रतिमा के ढहने के मामले की जांच नौसेना को सौंपी गई है. बता दें कि इस प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 4 दिसंबर को किया था. शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के बाद विपक्षी पार्टियों ने राज्य सरकार पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है.
शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने की जांच भारतीय नौसेना को सौंपी गई है. सोमवार देर रात नौसेना की ओर से एक बयान जारी कर इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. नौसेना ने कहा कि इसको लेकर तुरंत जांच करने और जल्द से जल्द प्रतिमा की मरम्मत, पुनर्स्थापना के लिए कदम उठाने के लिए एक टीम को तैनात किया है. गौरतलब है कि शिवाजी महाराज की इस प्रतिमा का निर्माण भारतीय नौसेना द्वारा कराया गया था.
भारतीय नौसेना ने आगे कहा कि, इस मामले जांच राज्य सरकार के साथ संबंधित विशेषज्ञों के अलावा नौसेना करेगी. नौसेना ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए तत्काल जांच करने और जल्द से जल्द प्रतिमा की मरम्मत और पुनःस्थापना के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए एक टीम की तैनाती की गई है.
इस मामले में महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग पुलिस ने ठेकेदार जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इस मामले में पुलिस ने कई धाराओं में मामला दर्ज किया है. शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के मामले में सिंधुदुर्ग पुलिस ने कहा कि, “छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की घटना में पुलिस ने ठेकेदार जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 109, 110, 125, 318 और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है.