सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि बच्चों के साथ यौन अपराध से जुड़े वीडियो को देखना, डाउनलोड करना, अपने पास रखना अपराध है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इसे पॉक्सो एक्ट के सेक्शन 15 (1) के तहत अपराध माना जाएगा.
एससी ने कहा कि भले ही किसी शख्स का मकसद ऐसे वीडियो को पब्लिश करना या फिर किसी दूसरे को भेजने न हो, बावजूद इसके इसे पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध माना जाएगा. सुशील पांडेय की इस रिपोर्स में जाने चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कुछ कहा.
यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो कानून के तहत अपराध की परिभाषा को और व्यापक करने के लिए संसद को ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी’ शब्द को “Child Sexual Exploitative and Abuse Material” से बदलने के लिए अध्यादेश लाने का सुझाव भी दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों को “चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी” शब्द का इस्तेमाल न करने का निर्देश भी दिया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पादरीवाला की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करता है और देखता है तो यह अपराध नहीं, जब तक कि उसकी नीयत इस कंटेंट को प्रसारित करने की ना हो.
जस्टिस जेबी पादरीवाला ने अपने फैसले में संसद को सुझाव दिया कि, ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह ‘चाइल्ड सेक्शुअल एक्सप्लॉइटेटिव एंड एब्यूसिव मटेरियल’ शब्द का इस्तेमाल किया जाए.’ शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि इसके लिए एक अध्यादेश लाकर बदलाव करें. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों को भी निर्देश दिया है कि वे भी “चाइल्ड पोर्नोग्राफी” शब्द का इस्तेमाल ना करें.